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डेंगू के डर से जेब पर डाका

locationश्री गंगानगरPublished: Nov 16, 2017 09:27:52 pm

Submitted by:

vikas meel

डेंगू का नाम सुनते ही डर इंसान को घेर लेता है। डेंगू के इसी डर का इन दिनों शहरभर के चिकित्सा जगत में लाभ उठाया जा रहा है।

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श्रीगंगानगर.

डेंगू का नाम सुनते ही डर इंसान को घेर लेता है। डेंगू के इसी डर का इन दिनों शहरभर के चिकित्सा जगत में लाभ उठाया जा रहा है। डेंगू टेस्ट के नाम पर जहां निजी चिकित्सालयों में केवल एनएस वन पॉजिटिव को ही डेंगू रोगी माना जा रहा है। वहीं, सरकारी तौर पर केवल उसी रोगी को डेंगू पुष्ट माना जा रहा है, जो एलाइजा टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाए। ऐसे में निजी तौर पर एलाइजा जांच की सुविधा नहीं होने के बावजूद निजी चिकित्सालय लोगों के इस डर का लाभ उठा रहे हैं और एनएस वन जांच के लिए ही एक हजार से बारह सौ रुपए तक ले रहे हैं। इस जांच में रोगी के पॉजिटिव पाए जाते ही डेंगू का उपचार शुरू कर दिया जाता है जबकि एलाइजा जांच के बिना किसी रोगी को डेंगू से पीडि़त नहीं माना जा सकता।


कार्ड डेढ़ से दौ सौ रुपए का

जिस कार्ड से डेंगू के नाम पर एनएस वन जांच की जाती है, उसकी कीमत बाजार में महज डेढ़ सौ से दो सौ रुपए हैं, लेकिन निजी चिकित्सालय इसके पांच से छह गुणा तक वसूलते हैं। खास बात यह है कि इस एक कार्ड से ही एनएस वन, आईजीजी और आईजीएम जांच हो जाती है लेकिन इसके बावजूद कई जगह पर एनएस वन के नाम पर तो छह सौ रुपए ही लिए जाते हैं लेकिन इससे इतर आईजीजी और आईजीएम जांच का हवाला देते हुए अतिरिक्त राशि वसूल ली जाती है।

 

सरकारी आदेश लेकिन पालना कैसे हो

इस संबंध में सरकार ने आदेश तो जारी कर दिए हैं कि किसी भी निजी संस्थान को एनएस वन जांच के लिए महज छह सौ रुपए तक ही लेने हैं लेकिन वास्तविकता में इसकी पालना नहीं हो पाती है। निजी संस्थान दिखाने के लिए एनएस वन जांच के नाम पर तो छह सौ रुपए लेते हैं तथा शेष राशि के लिए आईजीजी और आईजीजीएम जांच का सहारा लेते हैं। सरकारी तंत्र की व्यवस्था ऐसी है कि आदेशों के बावजूद इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तक को शिकायत का ही इंतजार करना पड़ता है।


एलाइजा पॉजिटिव ही डेंगू रोगी

डेंगू के मामले में लोगों के पास जानकारी का अभाव है। एनएस वन पॉजिटिव को सीधे डेंगू रोगी नहीं माना जा सकता है। इसके लिए एलाइजा जांच ही जरूरी है। इसके बावजूद कई जगह निर्धारित से अधिक राशि वसूली जा रही है। इसके लिए शिकायत आने पर कार्रवाई भी की जाती है।
-डॉ. नरेश बंसल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्रीगंगानगर।

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