SriGanganagar हमारे ब्लैक टाइगर की स्मृति में कर्नाटक में डिजिटल लाइब्रेरी
श्री गंगानगरPublished: Aug 15, 2022 04:21:59 pm
Digital Library in Karnataka in memory of our Black Tiger- कर्नाटक के विधायक ने बेलगाम में ढाई करोड़ रुपए की लागत से बना डाली रवीन्द्र कौशिक पुस्तकालय
SriGanganagar हमारे ब्लैक टाइगर की स्मृति में कर्नाटक में डिजिटल लाइब्रेरी
सुरेंद्र ओझा
श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर की मिट्टी जन्मे और पले बढ़े जांबाज जासूस ‘रविन्द्र कौशिक उर्फ ब्लैक टाइगर’ ने पाकिस्तान में पहुंचकर अपनी जासूसी का ऐसा जाल ऐसा बिछाया कि पाकिस्तान की सेना के पसीने छूट गए। इस जासूस की बहादुरी पर हिन्दी फिल्में भी बनी। लेकिन सरकार के स्तर पर उसकी शहादत अब तक गुमनामी के अंधेरे में है। पाक की मियांवाली जेल में उम्र कैद की सजा के दौरान जांबाज जासूस कौशिक की मौत के 21 साल बीतने के बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कौशिक की याद चिरस्थायी बनाए रखने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। अलबत्ता यहां से करीब दो हजार किलोमीटर दूर दक्षिण भारत के कनार्टक राज्य के बेलगाम में उनकी स्मृति में ई- लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। बेलगाम के भाजपा विधायक अभय पाटिल के प्रयासों से शहर के बीचोबीच ढाई करोड़ रुपए की लागत से तीन मंजिला ई लाइब्रेरी स्थापित की गई है।
कौशिक के भतीजे सुहिल ने बताया कि पिछले साल 26 सितम्बर 2021 को बेलगाम में एसपीएम रोड शाहपुर स्थित रवींद्र कौशिक ई-लाइब्रेरी का उदघाटन कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने किया । बेलगाम के भाजपा विधायक अभय पाटिल का कहना था कि सही मायने में आज के युग में देशभक्ति का जज्बा रवीन्द्र कौशिक के किरदार से समझा जा सकता है। कौशिक का नाम देश के लिए बलिदान देने वालों की सूची में सदा रहेगा। देश के इस रीयल हीरो को श्रद्धांजलि के रूप में उनके नाम पर ई-लाइब्रेरी का नाम रखा गया है। इस कार्यक्रम में कौशिक के परिवार के चुनिंदा लोग ही पहुंचे। विधायक पाटिल ने खुलासा किया था कि कौशिक का कर्नाटक के साथ भले नाता नहीं रहा हो लेकिन देशभक्त कौशिक ने अपने जीवन की परवाह किए बिना देश के लिए जान तक दांव लगा दी थी। इस जाबांज की दास्तां जब राजस्थान पत्रिका सहित कई अखबारों में पढ़ी तो संकल्प लिया कि उनकी जीवनी बच्चों और युवाओं तक पहुंचाने में डिजिटल लाइब्रेरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं।
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डिजिटल लाइब्रेरी में पांच भाषाओं का संगम
करीब 2.5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस पुस्तकालय में कन्नड़, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी और उर्दू सहित 5 भाषाओं की टेबलेट है। विधायक पाटिल ने कहा कि यह विश्व का एक आदर्श पुस्तकालय होगा। रवींद्र कौशिक पुस्तकालय में दो कर्मचारी और कुल 23 डेस्कटॉप कंप्यूटर हैं, जिसमें बच्चों के उपयोग के लिए 5 टेबलेट हैं। बच्चों की रुचि के आधार पर टेबलेट की संख्या बढ़ाई जाएगी। पुस्तकालय में 5000 से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं, और असीमित संख्या में उपयोगकर्ता अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर पुस्तक डाउनलोड कर सकते हैं। शाहपुर में रवींद्र कौशिक के नाम पर हाई-टेक डिजिटल लाइब्रेरी वाईफाई सुविधा भी है। इस लाइब्रेरी में 300 मीटर के भीतर वाईफाई का उपयोग करके किताबें पढ़ी जा सकती हैं। वाईफाई का उपयोग केवल किताबें पढऩे और डाउनलोड करने के लिए किया जा सकता है।
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कई महत्वपूर्ण सूचनाएं दी
इस भारतीय जासूस ने पाकिस्तान जाकर पाक सेना में भर्ती होकर मेजर का पद हासिल किया। लेकिन जब वह पकड़ा गया तो भारत सरकार ने उसकी किसी तरह की मदद नहीं की। पाकिस्तान में रहते हुए कौशिक ने कई महत्वपूर्ण सूचनाएं भारत सरकार को दी। इसमें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और आईएसआई के पंजाब को भारत से अलग करने की सूचना भी शामिल थी। इन सूचनाओं से खुश होकर ही उन्हें ब्लैक टाइगर की उपाधि मिली। आईबी के पूर्व संयुक्त निदेशक एस.के धर ने उन्हें भारत का महान जासूस बताते हुए उन पर दो पुस्तकें लिखी। इनमें से एक मिशन टू पाकिस्तान काफी चर्चित रही।
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थियेटर के शौक ने बना दिया जासूस
श्रीगंगानगर के रहने वाले रविन्द्र कौशिक का जन्म 11 अप्रेल 1952 को हुआ। उसका बचपन श्रीगंगानगर की पुरानी आबादी में अनुपम धींगड़ा स्कूल के पास पुश्तैनी मकान में बीता। बचपन से ही उसे थिएटर का शौक था। एक बार कौशिक लखनऊ में आयोजित यूथ फेस्टिवल में चीनी सैनिकों की ओर से भारतीय सैनिक को यातना देने की मनोएक्टिंग कर रहे थे तो रॉ के अधिकारियों की नजर उन पर पड़ी और उन्हें रॉ ज्वाइन करने का प्रस्ताव दिया। दिल्ली में करीब 2 साल तक उसकी ट्रेनिंग चली। पाकिस्तान में किसी भी परेशानी से बचने के लिए उसका ***** किया गया। उसे उर्दू, इस्लाम और पाकिस्तान के बारे में जानकारी दी गई। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद मात्र 23 साल की उम्र में रविन्द्र को पाकिस्तान भेज दिया गया। पाकिस्तान में उसका नाम बदलकर नबी अहमद शाकिर कर दिया गया। मिशन पूरा होने के बाद वतन वापसी से दो दिन पहले पाक सेना ने लाहौर के जिन्ना पार्क से कौशिक को गिरफ्तार कर लिया। जेल में लंबी यातना सहने के बाद 21 नवम्बर 2001 को रवीन्द्र कौशिक ने मियांवाली सेन्ट्रल जेल में अंतिम सांस ली। जेल के पिछवाड़े एक सुनसान सी जगह उन्हें दफना दिया गया।
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पत्रिका ने उजागर किया
जासूस रवीन्द्र कौशिक की मृत्यु की खबर मिलने पर सबसे पहले राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में उन पर समाचार श्रृंखला का प्रकाशन किया। इससे परिवार वालों का हौंसला बंधा और मृत्यु के एक साल बाद एल ब्लॉक हनुमान मंदिर में शोक सभा का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में शहर के नागरिक सम्मिलित हुए। तब नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष और कौशिक के अभिन्न मित्र राजकुमार गौड़ ने उनकी याद में कुंज विहार कॉलोनी में एक पार्क और सड़क का निर्माण करवाया। पार्क में लगे शिलालेख पर कौशिक की पत्रिका में छपी जीवनी लिखी हुई है।