मॉनीटरिंग कौन करेगा, स्थिति स्पष्ट नहीं
इस संस्था की मॉनीटरिंग के लिए नगर परिषद आयुक्त और तहसीलदार दोनेां एक दूसरे को अधिकृत बताकर कन्नी काट रहे हैं। तहसीलदार सुरेन्द्र पारीक का कहना है कि शहरी क्षेत्र में होने के कारण इस कल्याण भूमि की मॉनीटरिंग नगर परिषद की है, यह क्षेत्राधिकार परिषद सीमा में है। इस समिति को राज्य सरकार के किसी भी सरकारी विभाग या संस्था से अनुदान नहीं मिलता, खुद को ही संसाधन जुटाने होते हैं। हालांकि वहां निर्माण के लिए नगर परिषद या नगर विकास न्यास या विधायक कोटे या सांसद कोटे से बजट उपलब्ध कराया जा सकता है। इधर, नगर परिषद आयुक्त सुनीता चौधरी ने बताया कि हमारे पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। यहां तक कि राज्य सरकार या जिला प्रशासन ने भी कोई मॉनीटरिंग करने के लिए आदेश नहीं दिया है। यदि ऐसा होता तो कल्याण भूमि की जांच कराने के लिए वहां कार्रवाई कर सकते थे।
‘वह’ सलामत है या नहीं, देखने आए बुजुर्ग
गुरुवार दोपहर को एच ब्लॉक से एक परिवार भी इस कल्याण भूमि पर उस जगह पहुंचा जहां दो दिन पहले उनके परिवार का एक प्री मैच्योर बच्चे की मौत होने के बाद उसे दफनाया गया था। इस परिवार के बुजुर्ग वहां पहुंचे और खुद अपनी आंखों से देखा कि मृत बच्चे का शव सही सलामत है या नहीं? इस परिवार के सदस्यों का कहना था कि दो दिन पहले उनके परिवार की बहू की डिलीवरी हुई थी, नवजात शिशु प्री मैच्योर होने के कारण अस्वस्थ था और उसकी मौत हो गई थी। उसे कल्याण भूमि में कब्र खोदकर दफनाया गया था। पिछले दो दिनों से कब्रें खोदकर शवों के गायब होने की खबरें पढ़ी तो उनसे रहा नहीं गया और वे अपनी आंखों से देखने के लिए कल्याण भूमि पहुंच गए। इस मौके पर समिति अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल भी अपने स्टाफ के साथ बच्चे कब्र पर पहुंचे तो वह सही सलामत मिली।
इनका कहना है
हो सकती है साजिश
यह सही है कि इस समिति के संचालन में हमारी जिम्मेदारी है। कबे्रं खोदने की घटना को गंभीरता से लिया गया है। इसके लिए समिति अपने स्तर पर भी जांच करवा रही है ताकि सच सामने आए। यह हरकत किसी ने जान बूझकर की है, या इसके पीछे साजिश भी हो सकती है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता। पुलिस भी इस मामले में जांच कर रही है। उम्मीद है कि यह पूरा घटनाक्रम क्यों हुआ और यह कैसे हुआ, यह सच्चाई सामने आनी चाहिए।
– महेश पेड़ीवाल, अध्यक्ष, श्रीकल्याण भूमि समिति