अस्त-व्यस्त रहेगा ये शैक्षणिक सत्र
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सत्र शिक्षा व पढ़ाई की दृष्टि से अस्त-व्यस्त ही रहने वाला है। पिछले 9 माह से बच्चें घरों में बैठे हैं और बढ़ते संक्रमण के बीच आगे भी स्कूल खुलते नजर नहीं आ रहें हैं। इस कारण अभिभावक सरकारी स्कूलों की ओर रुख कर सकते हैं। ताकि बच्चों पर पढ़ाई का मानसिक रूप से कोई दबाव न रहे। अभिभावकों का मानना है कि राज्य सरकार की ओर से जारी नियमों की अक्षरश: पालना करने के कारण बच्चों को किसी प्रकार परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सत्र शिक्षा व पढ़ाई की दृष्टि से अस्त-व्यस्त ही रहने वाला है। पिछले 9 माह से बच्चें घरों में बैठे हैं और बढ़ते संक्रमण के बीच आगे भी स्कूल खुलते नजर नहीं आ रहें हैं। इस कारण अभिभावक सरकारी स्कूलों की ओर रुख कर सकते हैं। ताकि बच्चों पर पढ़ाई का मानसिक रूप से कोई दबाव न रहे। अभिभावकों का मानना है कि राज्य सरकार की ओर से जारी नियमों की अक्षरश: पालना करने के कारण बच्चों को किसी प्रकार परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मातृभाषा की अनिवार्यता से बढ़ेगा सरकारी का आकर्षण
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और संसाधन सुविधाओं का स्तर लगातार बढऩे के साथ-साथ बच्चों को अब महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम तक की सुविधा मिलने लगी है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के पांचवी तक अनिवार्य रूप से लागू होने की वजह से निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के पास सरकारी विद्यालयों से अलग कुछ नहीं होगा। तो इन परिस्थितियों में अभिभावक भारी भरकम फीस चुकाने से बचेंगे। जिससे अगले सत्र में सरकारी स्कूलों के नामांकन में और अधिक बढ़ोतरी होना स्वाभविक है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई और संसाधन सुविधाओं का स्तर लगातार बढऩे के साथ-साथ बच्चों को अब महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम तक की सुविधा मिलने लगी है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा के पांचवी तक अनिवार्य रूप से लागू होने की वजह से निजी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के पास सरकारी विद्यालयों से अलग कुछ नहीं होगा। तो इन परिस्थितियों में अभिभावक भारी भरकम फीस चुकाने से बचेंगे। जिससे अगले सत्र में सरकारी स्कूलों के नामांकन में और अधिक बढ़ोतरी होना स्वाभविक है।
फैक्ट फाइल
प्रदेश में कुल स्कूल-66,044 जिले में राजकीय विद्यालय-1,923
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी-85,75,020 जिले में कुल विद्यार्थी- 2,06,100
इनका कहना है शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में प्रारंभिक स्तर पर किसी भी विषय या टॉपिक से संबंधित प्रत्यय निर्माण मातृभाषा में ज्यादा आसानी से होता है। साथ ही ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग होने से बच्चा ज्यादा बेहतर तरीके से सीख पाता है। इसलिए 5+3+3+4 के अनुसार पाठयक्रम संरचना में भी मातृभाषा का विशेष महत्व रहेगा।
भूपेश शर्मा, सहसंयोजक, विद्यार्थी सेवा केंद्र शिक्षा विभाग,श्रीगंगानगर
प्रदेश में कुल स्कूल-66,044 जिले में राजकीय विद्यालय-1,923
सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी-85,75,020 जिले में कुल विद्यार्थी- 2,06,100
इनका कहना है शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में प्रारंभिक स्तर पर किसी भी विषय या टॉपिक से संबंधित प्रत्यय निर्माण मातृभाषा में ज्यादा आसानी से होता है। साथ ही ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग होने से बच्चा ज्यादा बेहतर तरीके से सीख पाता है। इसलिए 5+3+3+4 के अनुसार पाठयक्रम संरचना में भी मातृभाषा का विशेष महत्व रहेगा।
भूपेश शर्मा, सहसंयोजक, विद्यार्थी सेवा केंद्र शिक्षा विभाग,श्रीगंगानगर
विभाग ने नामांकन की अंतिम तिथि बढ़ाकर 10 दिसंबर कर दी है। इस क्रम में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। कोरोना महामारी के कारण बनी परिस्थितियों के कारण भी बहुत से विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों का रुख किया है। जिसकी वजह से नामांकन में वृद्धि जारी है।
हंसराज यादव, जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय (प्रा.व मा.)श्रीगंगानगर।