किसानों ने जल संसाधन मंत्री पर भी गंगनहर के किसानों को बर्बाद करने की नीति पर चलने के आरोप लगाए। किसानों का कहना था कि जल संसाधन मंत्री की शहर पर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। रेग्यूलेशन कोर कमेटी के सदस्य मंजीत सिंह कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता प्रदीप रूस्तगी पर जमकर बरसे। गंगनहर के रेग्यूलेशन में गड़बड़ी के लिए रूस्तगी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इस अधिकारी के रहते हुए जल वितरण में भेदभाव की एेसी परिपाटी शुरू हुई है, जिसने छोटी नहरों के किसानों को बर्बाद कर दिया है।
हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक किसान की तीन-चार बारियां लगातार सूखी जा रही है और एक के खेत में लगातार सिंचाई हो रही है। रूस्तगी ने इन आरोपों पर सफाई देने की बजाय कोर कमेटी सदस्य पर व्यक्तिगत रूप से टॉर्चर करने का आरोप लगाया।
गंगानगर किसान समिति के संयोजक रणजीत सिंह राजू भी जल वितरण में हो रही गड़बड़ी को लेकर अधिकारियों को आड़े हाथों लिया। राजू का कहना था कि एच नहर को वरीयता के बजाय व्यक्ति विशेष के इशारे पर चलाया जा रहा है। हंगामे के कारण बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया। आरोपों के चलते जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी कन्नी काटते नजर आए।
बैठक में मौजूद रेग्यूलेशन कमेटी के कई सदस्यों ने कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता और जल संसाधन मंत्री पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह आरोप व्यक्तिगत द्वेषता से प्रेरित होकर लगाए गए हैं।
अध्यक्ष को करें शिकायत गंगनहर प्रोजेक्ट चेयरमैन शमीर सिंह ने बैठक में हंगामे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कुछ लोग बैठक में हंगामे के लिए आते हैं, जिससे किसानों की समस्याओं पर विचार नहीं हो पाता। उन्होंने कहा है कि रेग्यूलेशन कमेटी के अध्यक्ष अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन हैं। लेकिन जल संसाधन मंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बैठक में नहीं आते।
प्रोजेक्ट चेयरमैन ने कहा है कि किसी नहर के किसानों को जल वितरण या अन्य किसी कारण को लेकर समस्या है तो इसकी शिकायत एडीएम प्रशासन को करनी चाहिए। अध्यक्ष होने के नाते वही समस्या का समाधान करेंगे। उन्होंने कहा है कि बैठक में आकर अधिकारियों से बदतमीजी करना या उन पर अनर्गल आरोप लगाना किसी भी सूरत में सही नहीं।