शहर के राजकीय जिला चिकित्सालय में शुक्रवार शाम एक रोगी की जांच में जुटे डॉ. देवकांत ने बताया कि हमारा ध्यान तो पूरी तरह चिकित्सालय पर ही है। अब इस दौरान घर की तमाम जरूरतें तो पत्नी ही देखती है। रही बात बच्चों की तो उनसे बात तो बस सुबह आठ बजे से पहले और रात को आठ बजे के बाद ही हो पाती है।
डॉ.मुकेश बंसल बताते हैं कि उनकी पत्नी डॉ.रेणु बंसल भी राजकीय सेवा में ही चिकित्सक है। ऐसे में परिवार पूरा दिन उनके काम को लेकर चिंतित ही रहता है। हालांकि पूरी सावधानी भी बरतते हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में सावधान रहना ही एक मात्र निराकरण है। वे बताते हैं कि दिन में कभी आठ घंटे तो कभी इससे भी ज्यादा समय तक चिकित्सालय में बिताना पड़ता है। इमरजेंसी कॉल तो कभी भी आ सकता है।
इन्हीं चिकित्सकों के साथ काम कर रहे मेल नर्स बृजलाल की पत्नी भी राजकीय सेवा में नर्स ही है। ऐसे में वह भी सुबह जल्दी ही काम पर निकल जाती है। पीछे परिवार की तमाम व्यवस्थाओं पर केवल और केवल बच्चों को ही ध्यान रखना पड़ता है। शाम को घर पहुंचते हैं तो भी पूरी तरह से स्वयं को संक्रमण रहित रखने का ध्यान रखना होता है।