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डॉक्टर साहब और पत्नी दोनों चिकित्सालय में, बच्चे ही संभाल रहे व्यवस्थाएं

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 06, 2020 07:26:09 pm

Submitted by:

jainarayan purohit

पिछले कई दिन से शहर लॉकडाउन है। ड्यूटी भी जरूरी है, पत्नी भी सरकारी चिकित्सक है, वह भी अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। लॉकडाउन जैसी गंभीर परिस्थितियों में अगर घर में कोई जरूरत पड़ी तो इसे बच्चे ही पूरा कर रहे हैं यह कहना है, चिकित्सा क्षेत्र में कर्मवीर की तरह डटे डॉक्टर मुकेश बंसल और उनके साथी मेल नर्स बृजलाल का।

डॉक्टर साहब और पत्नी दोनों चिकित्सालय में, बच्चे ही संभाल रहे व्यवस्थाएं

डॉक्टर साहब और पत्नी दोनों चिकित्सालय में, बच्चे ही संभाल रहे व्यवस्थाएं

-राजकीय चिकित्सालय में रोगियों की सेवा में जुटे हैं कर्मवीर
श्रीगंगानगर. पिछले कई दिन से शहर लॉकडाउन है। ड्यूटी भी जरूरी है, पत्नी भी सरकारी चिकित्सक है, वह भी अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। लॉकडाउन जैसी गंभीर परिस्थितियों में अगर घर में कोई जरूरत पड़ी तो इसे बच्चे ही पूरा कर रहे हैं यह कहना है, चिकित्सा क्षेत्र में कर्मवीर की तरह डटे डॉक्टर मुकेश बंसल और उनके साथी मेल नर्स बृजलाल का। दोनों चिकित्सक और चिकित्साकर्मी इन दिनों डॉ.देवकांत के निर्देशन में कोरोना स्क्रीनिंग ओपीडी में लगतार सेवाएं दे रहे हैं। डॉ.देवकांत की जिम्मेदारी तो सबसे महत्वपूर्ण है। प्रतिदिन कई-कई घंटे सेवाएं दे रहे डॉ.देवकांत बताते हैं कि इन दिनों उनकी ड्यूटी के घंटे निर्धारित नहीं है। बस काम ही पूजा नजर आती है।
बच्चे खुद ही संभालते हैं व्यवस्थाएं
शहर के राजकीय जिला चिकित्सालय में शुक्रवार शाम एक रोगी की जांच में जुटे डॉ. देवकांत ने बताया कि हमारा ध्यान तो पूरी तरह चिकित्सालय पर ही है। अब इस दौरान घर की तमाम जरूरतें तो पत्नी ही देखती है। रही बात बच्चों की तो उनसे बात तो बस सुबह आठ बजे से पहले और रात को आठ बजे के बाद ही हो पाती है।
परिवार को रहती है चिंता
डॉ.मुकेश बंसल बताते हैं कि उनकी पत्नी डॉ.रेणु बंसल भी राजकीय सेवा में ही चिकित्सक है। ऐसे में परिवार पूरा दिन उनके काम को लेकर चिंतित ही रहता है। हालांकि पूरी सावधानी भी बरतते हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में सावधान रहना ही एक मात्र निराकरण है। वे बताते हैं कि दिन में कभी आठ घंटे तो कभी इससे भी ज्यादा समय तक चिकित्सालय में बिताना पड़ता है। इमरजेंसी कॉल तो कभी भी आ सकता है।
बहुत कम समय के लिए हो पाता है परिवार से मिलना
इन्हीं चिकित्सकों के साथ काम कर रहे मेल नर्स बृजलाल की पत्नी भी राजकीय सेवा में नर्स ही है। ऐसे में वह भी सुबह जल्दी ही काम पर निकल जाती है। पीछे परिवार की तमाम व्यवस्थाओं पर केवल और केवल बच्चों को ही ध्यान रखना पड़ता है। शाम को घर पहुंचते हैं तो भी पूरी तरह से स्वयं को संक्रमण रहित रखने का ध्यान रखना होता है।

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