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नशा मुक्ति की दवा चिकित्सक के निर्देशन में मरीज को खिलाने के प्रावधान हैं। चिकित्सक एक पखवाड़े की दवा मरीजों को दे रहा था, जिसे नशे का आदी दो-तीन दिन में ही समाप्त कर देता है। ऐसे में नशा छोडऩे की जगह व नशीली दवा का ही आदी हो रहा है।
उन्होंने बताया कि जब वे कार्रवाई करने पहुंचे तो पाया कि चिकित्सक दोगुने दामों पर नशा मुक्ति की दवा बेच रहा था। जबकि ये दवाइयां बेहद सावधानी से चिकित्सक के सामने निर्धारित मात्रा में देते हुए धीरे-धीरे कम करनी होती है। इसके स्थान पर चिकित्सक धड़ल्ले से दवाइयां बेचने में लगा था। विभाग ने करीब पांच करोड़ रुपए की नशीली दवाइयां बरामद की। नारकोटिक्स के उप आयुक्त यादव ने बताया कि श्रीगंगानगर में कई और नशा मुक्ति केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। इन पर भी इस प्रकार का खेल चल रहा है। विभाग को शिकायतें मिली हैं शीघ्र ही शिकंजा कसा जाएगा।
सात माह में 15.50 करोड़ की गोलियां बेची–सीएमएचओ डॉ.गिरधारी लाल मेहरड़ा ने बताया कि 13 अक्टूबर को 2019 को चिकित्सा विभाग की टीम ने श्रीगंगानगर के ज्याणी कलावती हॉस्पिटल के संचालक डॉ.धर्मेद्र ज्याणी के खिलाफ जांच की थी। इसमें एक अप्रेल 2019 से क्रय रेकॉर्ड,सप्लाई रेकॉड और क्लोजिंग स्टॉक रेकॉड जांच के लिए लिया गया। इसका अध्ययन करने पर सात माह में ब्यूप्रोनोफ्रीन घटक युक्त करीब 38 लाख 62 हजार 420 गोलियां रोगियों को बेचना सामने आया है।