श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय सहित जिले में पीएचसी, सीएचसी और डिस्पेंसरी में जांच करवाने के लिए रोगी आए लेकिन ओपीडी सूनी रहने से उन्हें उपचार नहीं मिल पाया। हालांकि जिला चिकि त्सालय की इमरजेंसी में मेडिसिन,हड्डी जोड़ रोग विशेषज्ञ और सर्जन की वैकल्पिक व्यवस्था की परन्तु यह नाकाफी रही। चिकित्सकों ने आपातकालीन सेवाओं,एमएलसी और पोस्टमार्टम को छोडकऱ कोई गैर आपातकालीन सेवाएं नहीं दी।
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—एक बार ओपीडी में हुई अव्यवस्था–जिला चिकित्सालय के आपातकालीन कक्ष में एक बार सभी डॉक्टर आकर बैठ गए। वहां रोगियों की लंबी कतार लगने से भीड़ हो गई। डॉक्टर्स ने कहा कि सामान्य रोगियों की जांच और उपचार नहीं किया जाएगा। इस पर एक बार अव्यवस्था हो गई। गंभीर रूप से बीमार रोगियों को दिक्कत हुई। इसके बाद डॉक्टर्स सीसीयू व कैंसर रोगियों की ओपीडी वाले कक्ष में टेबल लगाकर बैठ गए। वहां कुछ गंभीर रोगियों की जांच कर भर्ती करने का कार्य किया।
————— इनडोर रोगियों को भी हुई दिक्कत—डॉक्टरों की ओपीडी केबहिष्कार के चलते इनडोर रोगियों को भी परेशानी हुई। वार्डों में समय पर राउंड नहीं हुआ। इस कारण चिकित्सालय में भर्ती रोगियों को परेशानी हुई। डॉक्टर रोगियों को भर्ती करने से कतराते रहे। गांव लालेवाला से दो-तीन बुजुर्ग महिलाएं आई हुई थी। उन्हें आंखों की जांच करवाकर ऑपरेशन करवाना था लेकिन डॉक्टर ने जांच तक नहीं की।
—————— —निजी चिकित्सकों ने भी किया ओपीडी का बहिष्कार— श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय के निजी अस्पतालों में भी डॉक्टर्स ने सोमवार को सुबह-शाम ओपीडी का बहिष्कार किया। इस कारण दूरदराज से आए रोगियों को बहुत ज्यादा दिक्कत हुई। बहुत से रोगी जांच करवाकर एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए आए थे लेकिन डॉक्टरों ने जांच ही नहीं की। हालांकि गंभीर रोगियों का उपचार किया गया।
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डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए मजबूत बने कानून–अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ.अजय सिंगला ने कहा कि चिकित्सालयों की सुरक्षा के लिए एक अलग से चिकित्सा सुरक्षा बल गठित किया जाना चाहिए। साथ ही डॉक्टर और हेल्थकेयर प्रतिष्ठानों पर हिंसा के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति घोषित की जाए।