सभापति ने बताया कि नगर परिषद ने नरसिंहपुरा स्थित गौशाला से करीब दो हजार पशुओं के रखरखाव का अनुबंध कर रखा हें। एक पशु के रखरखाव के एवज में तीस रुपए अनुदान दिया जा रहा हैं। नंदीशाला के मौजूदा 250 गौवंश को वहां भिजवाने के लिए संपर्क किया जा रहा हैं।
अन्य पशुओं के लिए जिले की विभिन्न गौशालाों को सुपुर्द करने के लिए जिला कलक्टर से मार्गदर्शन मांगा गया हैं। आयुक्त यादव ने बताया कि नंदीशाला की जगह श्वान शाला खोलने से वहां श्वानों की नसबंदी की जाएगी। इस संबंध में ठेके की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं।
सबकुछ ठीक रहा तो एक मार्च से वहां श्वानशाला खोल दी जाएगी। नसबंदी के बाद श्वानों को वहां रखा जाएगा। इन श्वानों के खाने के लिए नगर परिषद खर्चा करेगी। नंदीशाला की चारदीवारी की ऊंचा करने का प्रस्ताव तैयार किया गया हैं।
सभापति ने बताया कि एक साल पहले शहर में आवारा श्वानों का सर्वे करवाया गया था तब अनुमानित संख्या करीब दस हजार आंकी गई थी। आवारा श्वानों के हिंसक घटनाएं शहर में आए दिन होने लगी हैं। रात को राहगीरों पर हमले करने की घटनाओं पर विभिन्न संगठनों और पार्षदों ने शिकायतें भी की हैं।
सभापति ने बताया कि एक साल पहले शहर में आवारा श्वानों का सर्वे करवाया गया था तब अनुमानित संख्या करीब दस हजार आंकी गई थी। आवारा श्वानों के हिंसक घटनाएं शहर में आए दिन होने लगी हैं। रात को राहगीरों पर हमले करने की घटनाओं पर विभिन्न संगठनों और पार्षदों ने शिकायतें भी की हैं।
इस विकट समस्या से निजात दिलाने के लिए श्वान शाला की जरूरत पडऩे लगी हैं। शहर में एेसी शाला बनाने के लिए कोई जगह नहीं हैं। श्वानों की इस समस्या का स्थायी समाधान के लिए नंदीशाला की जगह श्वान शाला उपयुक्त स्थल चयनित किया गया हैं।
चांडक ने बताया कि शहर में लगातार पालतू श्वान रखने का चलन बढ़ रहा हैं। पालतू श्वान को घूमाने या सडक़ों पर शौचक्रिया कराने के संबंध में नियम कायदे बनाए जाएंगे ताकि आमजन को किसी तरह की परेशानी नहीं हो सके। अब एेसे पालतू श्वान रखने वाले मालिकों को नगर परिषद से लाइसेंस करवाना होगा।
सालाना शुल्क पांच सौ रुपए तय किया जा रहा हैं। नगर परिषद बोर्ड में यह प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इस संबंध में आयुक्त सहित अधिकारियों से चर्चा भी हो चुकी हैं। वहीं चांडक परिवार की ओर से नंदीशाला के लिए दिए गए ऑटोटिप्पर को होटल, जेल या अन्य जगहों जहां बचा हुआ खाना फेंका जाता है, उसे इस टीपर में डालकर श्वान शाला भिजवाने की व्यवस्था शुरू की जाएगी।
इस बीच नगर परिषद को तत्कालीन जिला कलक्टर धर्मेन्द्र भटनागर ने गौशाला संचालित करने के लिए रोटांवाली गांव के पास 22 बीघा भूमि आवंटित की थी, इसके एवज में नगर परिषद ने करीब बारह लाख रुपए की राशि भी जमा करवाई थी।
लेकिन यह भूमि अब नगर परिषद के कब्जे में हैं या नहीं, इस संबंध में आयुक्त यादव ने अनभिज्ञता जाहिर की। उन्हेांने बताया कि इस संबंध में जल्द ही फीडबैक लेकर फिर से जिला कलक्टर से चर्चा की जाएगी ताकि यह भूमि नगर परिषद को आवारा पशुओं के लिए वहां व्यवस्था करने के लिए सुविधा हो सके।