सदर थाना क्षेत्र में करीब 48 वर्षीय एक शख्स का जन्मदिन था। वह अपनी पत्नी, साढू व उसकी पत्नी कार में खानाकर आए थे। जो रिद्धि सिद्धि में पार्क के पास सुनसान में कार रोककर उतर गए और वहां कार को टेप चलाकर डांस कर रहे थे। इसी दौरान वहां मौजूद गार्ड चाय पीने के लिए दो युवकों की बाइक पर बैठकर वहां पहुंच गया और उनको वहां से अपने घर जाने की बात कहकर चला गया। लेकिन वे दो युवक वहीं रुक गए और वहां डांस देखने लगे। डांस करने वालों ने उनको जाने के लिए कहा। इसी बात को लेकर विवाद हो गया। इसी दौरान कार सवार एक व्यक्ति ने नकली पिस्तौल (fake pistol
इस बीच पुलिस अधीक्षक हेमंत शर्मा का कहना है कि मंशा पर निर्भर जिस शख्स के पास यदि नकली पिस्तौल है और उसने किसी को मारने का भय दिखाया है तो उसकी मंशा अपराध की श्रेणी में आती है। लेकिन सिर्फ शौक के लिए रखी है तो उसका कोई अपराध नहीं है। अलग अलग मामलों में कोई मंशा रही होगी तभी पुलिस ने एक में अपराध नहीं माना होगा।
वहीं सीओ सिटी इस्माल खान ने बताया कि यह सही है कि असली जैसी नकली पिस्तौल रखना अपराध, बशर्ते उस हथियारनुमा खिलौना रखने की मंशा अपराध की हो। नकली पिस्तौल का यह मतलब नहीं कि वह सिर्फ नकली है, उसके इस्तेमाल से डरना या भयभीत करना अपराध की श्रेणी में आता है। असली की तरह नकली पिस्तौल रखना आयुध अधिनियम में सात साल कारावास का प्रावधान है।
इधर, अधिवक्ता अरुण बिश्नोई ने दावा किया कि खिलौने आटीवी सीरियल और फिल्मों में तो नकली पिस्तौल न केवल असली जैसे दिखते बल्कि असली गोली की तरह आवाज करते हुए धुंआ भी निकलते है। ऐसे में वे सारे हथियार रखने या इस्तेमाल करने वाले अपराधी हो जाएंगे। पुलिस का दोहरे मापदंड (double standards ) कानून से ऊपर नहीं है। आयुध अधिनियम में असली हथियार रखने का प्रावधान है न कि खिलौने को हथियार में दिखाना।