श्रीगंगानगर. डोली भूमि गिरत दशकंधर। छुभित सिंधु सरि दिग्गज भूधर।। धरनि परेउ द्वौ खंड बढाई। चापि भालु मर्कट समुदाई।।
यानि रावण के गिरते ही पृथ्वी हिल गई। नदियां, हाथी और पर्वत क्षुब्ध हो उठे, रावण धड़ के दोनों टुकड़ों को फैलाकर भालू ओर वानरों के समुदाय को दबाता हुआ पृथ्वी पर गिरा। राम चरित मानस की यही पंक्तियां शनिवार को शहर के रामलीला मैदान में प्रतीक रूप में साकार हुई।