योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू ई-पेमेंट है परंतु इसकी संख्या अपेक्षा के अनुसार बढ़ नहीं रही। गत वित्तीय वर्ष में जोधपुर , कोटा , अटरू एवं निवाई में ई-पेमेंट की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुंची। रामगंज मंडी 332 लेन-देन के साथ पहले स्थान पर रही। जिले की पदमपुर मंडी 117 लेन-देन के साथ चौथे स्थान पर है। पूरे राज्य में इस अवधि में कुल 1518 लेन-देन हुए और इससे 443 व्यापारी एवं 1093 किसान ही लाभान्वित हुए।
ई-पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए अब पुरस्कार योजना लाई गई है। किसानों एवं व्यापारियों को राज्य, खण्ड एवं मंडी स्तर पर लॉटरी पद्धति से पुरस्कार दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ग में न्यूनतम 15 हजार रुपए एवं अधिकतम एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। जानकारों के अनुसार अभी तक ई-पेमेंट व्यापारियों एवं किसानों को व्यावहारिक नहीं लग रहा। इनके आपसी आर्थिक लेन-देन होने, ई-पेमेंट की पूरी तकनीकी जानकारी नहीं होने जैसे कारणों के चलते रुझान अभी बन नहीं पाया है।
विस्तार की कोशिश जारी
ई-नाम के विस्तार की कोशिश जारी है। राज्य में अभी 25 मंडियां ई-नाम से जुड़ी हैं, घड़साना, जैतसर, श्रीबिजयनगर, श्रीकरणपुर, रायसिंहनगर, हनुमानगढ़, नोहर, रावतसर सहित कई अन्य मंडियों में भी ई-नाम शीघ्र शुरू करने की योजना है। अभी 16 राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों में ई-नाम चल रहा है। देश की अन्य 400 मंडियों में इसे शीघ्र शुरू करने की योजना है।
व्यापार का वेब पोर्टल
ई-नाम राष्ट्रीय स्तर का इलेक्ट्रोनिक ऑनलाइन व्यापार का वेब पोर्टल है। इसके माध्यम से देश में ई-नाम की किसी भी मंडी से माल खरीदा या बेचा जा सकता है। इसमें फसल का भुगतान सीधे किसान के खाते में आता है। सरकार का मानना है कि इससे नीलामी में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसान को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल पाएगा साथ ही सारे काम में पारदर्शिता रहेगी। ई-नाम के प्रांतीय समन्वय रवि कुमार चन्द्रा के अनुसार ई-पेमेंट से अधिकाधिक जनों को जोडऩे के लिए पूरी कोशिश जारी है। समय-समय पर जागरुकता संबंधी प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं।