इस जांच के दौरान रोटियों में स्वाद के प्रति शिकायत ज्यादा मिली। मशीनों के माध्यम से रोटियों का साइज तो सही था लेकिन उसकी गुणवत्ता को लेकर शिकायत अधिक नजर आई। यही हाल सब्जियों का था, इनमें नमक और हींग अधिक नजर आया। आयुक्त ने जब इन रोटियों और सब्जियों को खाने का स्वाद लिया तो इसकी पुष्टि भी हुई। आयुक्त का कहना था कि रेलवे स्टेशन के पास, केन्द्रीय बस स्टैण्ड, कलक्ट्रेट, हाउसिंग बोर्ड जवाहरनगर चौक के पास, कोडा चौक, रवीन्द्र पथ पर इन वैनों में खाना रखने और उसे वितरण के संबंध में जांच भी की।
प्रसार-प्रचार की कमी अखरी
आयुक्त ने बताया कि शहर के अलग-अलग इलाके में संचालित इस रसोई के प्रति लोगों को अधिकाधिक जोडऩे के लिए प्रचार प्रसार की कमी नजर आई है। उनका मानना था कि यदि प्रचार-प्रसार अधिक किया जाए तो यह योजना सफल हो सकती है। जांच के दौरान पोस मशीनें सभी वैनों की खराब थी, जिससे यह पता नहीं लग सका कि वहां कितने ग्राहक किस समय पर पहुंचे थे। पोस मशीनों को दुरुस्त करने, सब्जियों में नमक और हींग कम डालने, रोटियों की गुणवत्ता सुधारने के निर्देश भी दिए है।
इसलिए कराई गई यह जांच
श्रीविजयनगर में अन्नपूर्णा रसोई के भोजन वितरण के दौरान छिपकली मिलने की शिकायत जिला कलक्टर के पास पहुंची थी। इस संबंध में कलक्टर ने स्थानीय निकायों में अन्नपूर्णा रसोई योजना से संबंधित भोजन और नाश्ता वितरण की इन वैनों की जांच के आदेश किए थे। आयुक्त का कहना था कि इन वैनों को उन जगहों पर स्थापित किया गया है जहां आसपास नमकीन की रेहडिय़ां या होटल अधिक है। ऐसे में उचित स्थान चयन के लिए सुझाव कलक्टर के माध्यम से भिजवाया जा रहा है ताकि लोगों को इस योजना से फायदा अधिक मिल सके।