scriptतीन साल में आठ बार खदेड़ा फिर भी जमा लिया डेरा | Eight times in three years, the camp is still frozen | Patrika News

तीन साल में आठ बार खदेड़ा फिर भी जमा लिया डेरा

locationश्री गंगानगरPublished: Oct 13, 2019 08:04:10 pm

Submitted by:

surender ojha

encroachment कब्जा मुक्त अभियान तो जिला प्रशासन ने पहले ही बंद कर दिया है, ऐसे में चहल चौक से लेकर मल्टीपरपज स्कूल तक अतिक्रमण ही अतिक्रमण नजर आ रहा है।

तीन साल में आठ बार खदेड़ा फिर भी जमा लिया डेरा

तीन साल में आठ बार खदेड़ा फिर भी जमा लिया डेरा

श्रीगंगानगर. शहर में किसी भी जगह अतिक्रमण करना है तो बस सिर्फ जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों से ऐसा तालमेल होना चाहिए ताकि उनको बस सुविधा मिल जाएं। सुविधा और ऊंची एप्रोच के कारण शहर के मुख्य चौराहों पर अतिक्रमण अब मुंह बाएं खड़ा होने लगा है।
कब्जा मुक्त अभियान तो जिला प्रशासन ने पहले ही बंद कर दिया है, ऐसे में नगर परिषद और नगर विकास न्यास प्रशासन भी कब्जेधारकों की मनमर्जी के आगे नतमस्तक हो गया है। यही वजह है कि चहल चौक से लेकर मल्टीपरपज स्कूल तक अतिक्रमण ही अतिक्रमण नजर आ रहा है। पैदल राहगीरों के लिए इतनी भी जगह नहीं बची है कि वहां से आवाजाही हो सके। शिव चौक पर सब्जी और फल बेचने की दुकानें अब स्थायी बनने लगी है।
सुखाडिय़ा सर्किल रामलीला मैदान के बाहर फुटपाथ संडे मार्केट की आड में चंद लोगों के कब्जे में आ चुका है। दूसरी साइड में फूलों और नमकीन व जूस बेचने वालों ने कब्जे कर लिए है। इसी तरह भगतसिंह चौक पर फूल बेचने वालों ने तो वहां लंबा बाजार का रूप दे दिया है। कोडा चौक पर पनवाड़ी के खोखे और प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने काउण्टर रखकर इस इलाके में अपनी मनमर्जी को बरकरार रखा है।
इधर, हर पार्क के आगे वार्ड चुनाव के दावेदारों ने बड़े बड़े होर्डिग्स लगाकर नगर परिषद के जिम्मेदारों को अंगूठा तक दिखाने का प्रयास किया है। मनमजी इतनी कि कौन ले पंगा नगर परिषद के सफाई निरीक्षकों की माने तो पहले अधिकारी उनकी कार्रवाई करने का समर्थन करते थे।
यहां तक कि कब्जा हटाने पर सहयोग के लिए पूरी टीम भिजवाते थे। यहां कि खुद भी मौके पर आकर हौसला अफसाई करते थे लेकिन अब कार्रवाई करने पर इलाके ही बदल देते है। ज्यादा कहने पर निलम्बित करने की चेतावनी तक दी जाती है। जनप्रतिनिधि भी बार बार दखदांजी करते है। होर्डिग्स उखाडऩे से भी भय लगता है।
इधर, शहर के ह्रदय स्थल कहे जाने वाले गोलबाजार के अम्बेडकर चौक के चारों ओर अतिक्रमण ही अतिक्रमण है। एक छोर पर मिठाई बेचने वाले ने तो दूसरी ओर से छोले भटूरे वाले ने, तीसरे छोर पर फूल बेचने वाले ने तो चौथे छोर पर नमकीन बेचने वालों ने और एक मोची ने कब्जा कर रखा है।
इस चौक के मुख्य गेट पर नो पार्किग का बोर्ड जिला कलक्टर की आज्ञा से जरूर अंकित हुआ है, लेकिन वहां पार्किग ही नजर आती है। हालांकि ट्रैफिक पुलिस ने एक पुलिस कार्मिक को वहां डयूटी के लिए तैनात किया हुआ है। इस पुलिस कर्मी को यह अधिकार नहीं है कि वह अतिक्रमणकारियों को कुछ बोले, बस हाथ में डंडा और मुंह में सीटी बजाने के लिए आदेश दिया हुआ है।
वहीं रामलीला मैदान के आगे यूआईटी ने पैदल राहगीरों के लिए फुटपाथ बनाई, यहां तक कि बसों से उतरकर यात्रियों की सुविधा के लिए लोहे के बैंच भी स्थापित किए गए। लेकिन अब वहां अस्थायी अतिक्रमण हो चुका है।
नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी रोजाना इस फुटपाथ के आगे से गुजरते है लेकिन प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहे है।
इधर, शहीद भगतसिंह चौक के पास होर्डिग्स के नीचे अब फूलों का मार्केट बन चुका है। इस अस्थायी कब्जों को हटाने के लिए करीब डेढ़ साल पहले तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त सुनीता चौधरी खुद वहां पहुंचकर अतिक्रमण साफ करवाए थे लेकिन उनके तबादले के बाद वहां कब्जेधारकों ने डेरा जमा लिया है।
उधर, शिव चौक पर सब्जी और फल बेचने वालों ने वहां अब स्थायी कब्जा जमा लिया है। इस इलाके में अतिक्रमण साफ करने के लिए यूआईटी के अमले ने पिछले तीन सालों में आठ बार कार्रवाई की लेकिन अतिक्रमणकारियों की एप्रोच इतनी ऊंची है कि चंद दिनों में फिर से वहां डेरा जमा लिया।
इस बीच, सुखाडिय़ा सर्किल के पास फूलों की अस्थायी दुकानें लग गई है। वहीं शिव चौक के पास एक जने ने तो बैनर डिवाइडर पर लगाकर डिवाइडर किनारे वैवाहिक कार्यक्रम में सजने वाली कारों के लिए वहां दुकान सजा दी है। इन दोनों चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस नियमित डयूटी करती है लेकिन पुलिस प्रशासन ने भी अस्थायी अतिक्रमण की अनदेखी कर दी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो