scriptElection season dominates before real season | असली सावे से पहले चुनावी सावा हावी, बाजार गुलजार | Patrika News

असली सावे से पहले चुनावी सावा हावी, बाजार गुलजार

locationश्री गंगानगरPublished: Nov 09, 2023 11:06:09 pm

Submitted by:

surender ojha

Election season dominates before real season- विधानसभा चुनाव 2023: साठ करोड़ रुपए से ज्यादा होंगे खर्च, व्यापार को मिलेगा बूस्टर

असली सावे से पहले चुनावी सावा हावी, बाजार गुलजार
असली सावे से पहले चुनावी सावा हावी, बाजार गुलजार
#Assembly Elections 2023 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने का काम पूरा हो गया है। जिले की 6 सीटों पर करीब अस्सी से अधिक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। सभी अपने-अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क में जुट गए हैं। आलम यह है कि दीपावली और सावे से पहले चुनावी सावे को लेकर जमकर खर्चा किया जा रहा है। इस खर्चे से गली मोहल्ले से लेकर बाजार तक दुकानदारों को बूस्टर डोज साबित हो रहा है। कैटरिंग से लेकर ट्रांसपोर्ट-ट्रैवल्स, किराना, प्रिंटिंग सहित दस से अधिक कारोबारी सेक्टर को लाभ हो रहा है।
ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस क्षेत्र में ग्रोथ आ रही है। बड़े कैटर्स तो चुनावी भोज के लिए बुक हो चुके हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी चुनाव ने ग्रोथ देने का काम किया है। छोटे कारोबारियों को भी काम मिल रहा है। व्यापार संघों व इस कारोबार से जुड़े लोगों से बात करने पर सामने आया है कि चुनाव में करीब साठ करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है।
केले और सेब की सबसे ज्यादा बिक्री
प्रत्याशियों को तौलने का रिवाज भले ही खत्म हो चुका हो लेकिन नुक्कड़ सभाओं में सेब और केले बांटने का दौर जारी है। सभाओं में कार्यकर्ताओं के अलावा वहां आने वाले लोगों को मुनहार के तौर पर फल वितरित किए जा रहे है। चुनाव कार्यालय में भी कार्यकर्ताओं को भी फल बांटने का सिलसिला शुरू हो गया है। उपवास रखने वाले कार्यकर्ताओं को फल मंगवाकर खिलाए जा रहे है। डोर टू डोर जनसंपर्क के दौरान भी महिलाओं को फल बांटे जा रहे है। मिठाइयों में सबसे ज्यादा लडडू बांटे जा रहे हैं। फल और मिठाइयों पर करीब दो करोड़ रुपए का बजट खर्च रहने का अनुमान है।
चुनाव प्रचार सामग्री में बड़ा खर्चा
पोस्टर, बैनर, झंडे, टोपी, मुखौटे, फ्लैक्स, कटआउट व अन्य पर दस से बारह करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। पटेल और प्रताप मार्केट में चुनाव प्रचार सामग्री के दुकानदारों के पास बैनर और होर्डिंग्स बनाने का काम अधिक मिल गया है। दुकानदारों का कहना है कि प्रत्याशियों केअलावा निर्वाचन विभाग भी बैनर बनवा रहा है। सरकारी विभागों की ओर से मतदान की अपील के बैनर बनाने काम चल रहा है। वहीं चुनाव के लिए मतदान दलों की रवानगी संबंधित सूचना के लिए बैनर बनाए जा रहे है। यह काम अगले तीन से चार दिन और जारी रहेगा।
यहां इतना खर्च होने का अनुमान
टेंट हाउस : चुनाव में टेंट, कुर्सी, रजाई-गद्दे व अन्य कैटरिंग का करीब पांच करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान है। प्रत्याशियों ने अस्थाई कार्यालय बनाने शुरू कर दिए हैं और उसमें रजाई-गद्दे बिछने लग गए हैं। कार्यालयों के लिए जगह-जगह टेंट लगाए जा रहे हैं। वहीं नुक्कड़ सभाओं में भी मेज, कुर्सी, गद्दे व चादर लगाने की व्यवस्था के एवज में प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को जेब ढीली करनी पड़ रही है।
हवा बनाने के लिए रेडीमेड कार्यकर्ताओं पर खर्चा
प्रत्याशी की असल ताकत कार्यकर्ता हैं, उसे साधने और एकत्रित करने में काफी रूपए खर्च होते हैं। बूथ मैनेजमेंट पर प्रत्याशी जमकर खर्चा करते हैं। सबसे ज्यादा खर्चा निर्दलीय प्रत्याशियों का हो रहा है। इनके रेडीमेड कार्यकर्ता के लिए रोजाना दिहाड़ी देनी पड़ रही है। एक हजार रुपए तक दिहाड़ी का दाम चल रहा है। ऐसे में मतदान होने तक इलाके में करीब तीन से चार करोड़ रुपए ऐसे रेडीमेड कार्यकर्ताओं पर खर्च होने के आसार है।
वाहनों पर आएगा दस करोड़ रुपए का खर्चा
चुनाव प्रचार में लगे वाहनों, कार्यकर्ताओं को लाने और वापस गंतव्य स्थल पर छोड़ने, चुनाव प्रचार में रिक्शा, ऑटो, कार, जीप और कैंटर का किराया, कार्यकर्ताओं और समर्थकों के वाहनों में पेट्रोल और डीजल के एवज में करीब दस करोड़ रुपए का बजट खर्च होने का अनुमान है। दुपहिया वाहनों के लिए तीन लीटर पेट्रोल की पर्ची बांटी जा रही है। ई रिक्शा चालक मुकेश का कहना है कि रोजाना पचास ऑटो एक प्रत्याशी के पक्ष में संचालित हो रहे हैं। इन ई रिक्शाओं और ऑटो को डोर टू डोर जनसंपर्क के दौरान कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबंधित जगह पर आवाजाही के दौरान अनुबंध किए गए हैं।
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