इस दौरान उनके जेष्ठ पुत्र रमेश राजपाल ने दावा किया कि महज साढ़े सत्रह प्रतिशत वोट लेकर श्रीकरणपुर से कुंदनलाल मिगलानी न केवल चुनाव जीते बल्कि समाज कल्याण मंत्री तक बने थे। इसी तरह सादुलशहर के निवर्तमान विधायक गुरजंट सिंह बराड़ भी महज 28 प्रतिशत वोट लेकर चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बना चुके है। ऐसे में बाऊजी राधेश्याम गंगानगर भी खिलाफत के बावजूद जीत का मादा रखते है। पूर्व मंत्री राधेश्याम का कहना था कि खामोश मतदाता बहुत कुछ कह जाते है।
ऐसे खामोश वोटरों ने उनके पक्ष में ही वोटिंग की है। गणेशगढ़ गांव के कई ग्रामीणों ने निर्दलीय प्रत्याशी राधेश्याम गंगानगर के पक्ष में अधिक वोट आने की बात कही। ज्ञात रहे कि राधेश्याम तीन बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने थे लेकिन वर्ष 2008 में भाजपा का दामन थाम लिया था।
तब उनको जीत मिल गई लेकिन गत वर्ष 2013 के चुनावोंमें जमींदारा पार्टी की कामिनी जिन्दल ने 36 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी थी। अपनी हार का बदला लेने के लिए भाजपा से फिर से टिकट की गुहार की लेकिन चुनाव से पहले ही वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना जनंसपर्क करने लगे।