विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नए वित्त वर्ष में जिले में शराब दुकानों के नवीनीकरण व बोली के बाद भी 409 में से 257 दुकानें उठाव रह गई थी। इसके बाद जयपुर में अधिकारियों की बैठक हुई और मैराथन बैठक के बाद सभी से गारंटी राशि में छूट के लिए प्रपोजल मांगे गए थे।
जिसमें 10 से 45 प्रतिशत की छूट के प्रपोजल भेजे गए थे। इनमें से विभाग ने केवल 10 से 30 प्रतिशत की छूट सीमा निर्धारित कर दी थी। इसके बाद फिर से शेष रही दुकानों के लिए बोली लगाई गई। इसके बाद भी जिले में 95 शराब दुकानें रह गई थी। इसमें से चार और दुकानें वापस हो गई थी।
इसके चलते बंद दुकानों की संख्या बढकऱ 99 हो गई थी। इसके बाद आबकारी अधिकारियों ने गारंटी राशि में छूट बढ़ाने के प्रस्ताव भेजे थे लेकिन उन पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। इसके बाद फिर बोली का दौर शुरू हुआ और जिले में 25 शराब दुकानें उठाव से रह गई। इसके अलावा प्रदेश में दर्जनों दुकानों का उठाव नहीं हो पाया है। इसके लिए आबकारी आयुक्त की ओर से ई टेंडर जारी किया गया है। इस टेंडर के तहत शराब दुकान लेने के इच्छुक व्यक्ति की ओर से ऑनलाइन टेंडर के जरिए राशि भरने का मौका दिया गया।
इसके चलते 17 बिड बोली तकनीक टेंडर जारी किए गए और 18 मई को वित्तीय ई टेंडर प्रकिया शुरू की गई। शेष रही 27 दुकानों में से 26 दुकानों के लिए 41 टेंडर आए। इन टेंडरों में चार दुकानों पर रेट से ज्यादा राशि भरी गई थी, जिनको विभाग ने तत्काल स्वीकृत कर दिया।
अब 22 शराब दुकानें उठाव से फिर रह गई। इन शेष रही दुकानों की राशि में 20 से 60 प्रतिशत कम भरी गई थी। अब दो दिन से जयपुर में शेष रही दुकानों के उठाव के लिए चर्चा चल रही है। आबकारी अधिकारियों को राशि में चालीस फीसदी तक कमी करने की उम्मीद है। इसके आदेश मिलने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके बाद शेष बचने वाली दुकानों के लिए मोल भाव करने को टेंडर भरने वालों को बुलाकर चर्चा की जाएगी।
शहर में चल रहा शिकायतों का दौर
- इनदिनों शहर के शराब ठेकेदारों के दो गु्रपों में शिकायतों के चलते पुलिस की ओर से रात आठ बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्ती कर दी गई थी। अभी पुलिस की ओर से रात आठ बजे के बाद गश्त की जा रही है। आबकारी विभाग के सूत्रों की माने तो इस साल ठेके उठाव में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।