वहीं नेता प्रतिपक्ष से खफा पार्षदों ने भी अपनी रणनीति बनाई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों खेमों में कलह का दौर अब तेज होने लगा है। रायसिंहनगर में सात भाजपाई पार्षदों ने भाजपा को अलविदा कर कांग्रेस को ज्वाइनिंग किया था।
वहीं निर्दलीय आठ पार्षदों ने कांग्रेस का दामन थाम कर रायसिंहनगर नगर पालिका के चैयरमैन का झटका दिया है। हालांकि वहां चैयरमैन मनीष कौशल टोनी ने रायसिंहनगर के भाजपा विधायक बलवीर लूथरा के साथ राजनीतिक घटनाक्रम को शांत करने का प्रयास किया है। रायसिंहनगर की तर्ज पर जिला मुख्यालय पर पार्षदों की अलग अलग टोलियों ने भी कवायद शुरू की है।
इन टोलियों में कई पार्षद तो सभापति, उपसभापति और नेता प्रतिपक्ष के खेमे से है। इन पार्षदों की माने तो उनके वार्डो और व्यक्तिगत कार्यो के लिए बार बार मिन्नतें निकालनी पड़ती है, इस कारण ज्यादा फजीहत हो रही है। इधर, दो महिला पार्षदों में पंजाब में एकाएक सीएम और मंत्रिमंडल बदलने पर ज्यादा आस बधी है।
इन दोनों पार्षदों का कहना है कि एेनटाइम पर यदि चैयरमैनी या वाइस चैयरमैनी की कुर्सी मिलती है तो उनका दबदबा बढ़ेगा। लेकिन मौजूदा सभापति की किलेबंदी में सेंध लगाने पर ज्यादा जोर अजमाइश करनी पड़ेगी।
उधर, सभापति का खेमा भी अब अधिक सक्रिय हो गया है। इस खेमे ने उन पार्षदों की नब्ज टटोली है जो बगावत के सुर गाने लगे है।
इधर, उपसभापति की कुर्सी को लेकर भी संकेत दिखाई देने लगे है। एक फार्म हाउस पर भाजपा के युवा पार्षदों की बैठक में मौजूदा उपसभापति को बदलने पर जोर दिया गया लेकिन संख्या बल जुटाने के सवाल पर चुप्पी साध गए।
हालांकि कई कांग्रेसी और निर्दलीय पार्षदों ने आश्वासन दिया है। इस बीच, विधायक खेमे के पार्षदों ने चुप्पी साध ली है। इन पार्षदों का कहना था कि सभापति, उपसभापति और नेता प्रतिपक्ष बदलना इतना आसान नहीं है। इसके लिए साम, दंड, भेद जैसी शक्तियों को एक जुट करने की जरुरत है।
इस खेमे से जुड़े पार्षदों का यह भी कहना है कि विधायक की सक्रियता भूमिका भी होनी चाहिए लेकिन विधायक ने इस हवा के बुलबुले से दूरियां बना ली है।
इस बीच नगर परिषद के उपसभापति लोकेश मनचंदा का कहना है कि नगर पालिका या नगर परिषद में पार्षदों पर दल बदल कानून लागू नहीं होता है। इस कारण रायसिंहनगर में घटनाक्रम हुआ है। लेकिन यहां नगर परिषद में यह कवायद अभी शुरू नहीं हुई है।