जबकि जिला मुख्यालय से छह किमी दूर पर स्थित पंजाब में पैलेसों में पचास फीसदी उपस्थिति का दायरा रखकर कोरोना की गाइड लाइन और मैरिज पैलेसों के बीच का रास्ता निकाला गया हैं। इसी बीच के रास्ते निकालने के लिए मैरिज पैलेस संचालकों ने जिला प्रशासन से की थी लेकिन यह मामला राज्य स्तर का होने के कारण पार नहीं पड़ी। मकर संक्रांति के बाद शादियों का सीजन फिर से शुरू हुआ है तो कोरोना की गाइड लाइन की पालना ने मैरिज पैलेस संचालकों की चिंता बढ़ा दी हैं।
मैरिज पैलेस संचालकों की यूनियन के जुगल डूमरा का कहना है कि इस सीजन में बारह सौ शादियां हो रही है, इसमें अधिकांश ने तो अपना बजट सीमित कर दिया हैं। गाइड लाइन के चक्कर में यह धंधा अब मंदा पड़ चुका हैं।
अगले महीने का यह दौर यही रहा तो अगले छह माह खर्चा निकालने का टोटा पड़ जाएगा। एक मैरिज से दस कारोबार संचालित होता हैं। इसमें फूल वाले से लेकर चौपहिया वाहन कंपनी तक शामिल हैं।
कोरोना की गाइड लाइन को लेकर लोग इतने गंभीर नहीं हुए लेकिन दो दिन पहले रविवार को लगाए गए कफर्यू के बाद शादी समारोह के आयोजनकर्ताओं ने मेहमानी की सूची सीमित कर दी हैं।
कोरोना की गाइड लाइन को लेकर लोग इतने गंभीर नहीं हुए लेकिन दो दिन पहले रविवार को लगाए गए कफर्यू के बाद शादी समारोह के आयोजनकर्ताओं ने मेहमानी की सूची सीमित कर दी हैं।
एक साथ दो सौ से तीन सौ लोगों को बुलाने पर कोरोना प्रकोप कहकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने रिश्तेदारों और परिचितो से खेद जताने लगे हैं। इलाके के ४५ मैरिज पैलेसों में दीपावली से पहले बुंंकिंग हुई थी लेकिन अब अधिकांश बुंकिंग निरस्त की जा रही हैं।
वहीं विवाह स्थलों पर मेहमानों की संख्या पाए जाने पर जिला प्रशासन की टीम संबंधित विवाह स्थल पर जुर्माना या उसे तीन दिन के लिए सीज कर सकता हैं। मैरिज पैलसों इसके अलावा विभिन्न सामुदायिक भवन, धर्मशाला और घरों पर करीब पचास प्रतिशत शादियो का आयोजन होता हैं।