श्री गंगानगर

सेवा की मिसाल: जिसका कोई नहीं उसका तो…यह ‘आश्रम’ है सहारा

श्रीकरणपुर में है एक ऐसा आश्रम जहां होता है दु:खों का निवारण

श्री गंगानगरMar 18, 2024 / 08:15 pm

Ajay bhahdur

श्रीकरणपुर. मानसिक विक्षिप्त बेसहारा महिलाओं के साथ आश्रम की संचालिका रेणु खुराना। -पत्रिका

आश्रम ने पेश की इंसानियत की नजीर
श्रीकरणपुर. वर्ष 1981 में आई फिल्म लावारिस में गीतकार अनजान के लिखे व किशोर कुमार के गाए एक गीत के बोल थे जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो..! इस गीत के बोल भले ही फिल्म की कहानी के मुताबिक लिखे गए लेकिन यह सच है और इसे आप यहां के एक आश्रम में आकर प्रत्यक्ष देख सकते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं कस्बे के श्रीवाहेगुरु दु:ख निवारण आश्रम की। आपको बता दें कि करीब सात साल से संचालित दु:ख निवारण आश्रम उन भूले-भटके व मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों का सहारा बना है जिन्हें अपनों ने भी ठुकरा दिया। और तो और आश्रम में रहने वाली लगभग सभी महिलाएं ऐसी स्थिति में हैं कि उन्हें अपने घर-परिवार या अपने गांव-शहर के बारे में भी याद नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि आश्रम का संचालन भी मुख्य रूप से एक महिला कर रही है। जी हां, सरकारी स्कूल में शिक्षिका रेणु खुराना के प्रयासों से शुरू हुआ यह आश्रम वर्तमान में करीब ढाई दर्जन मानसिक विक्षिप्त व असहाय लोगों (प्रभुजनों) का सहारा बना है। वहीं, करीब तीन दर्जन से अधिक लोग ठीक होकर अपने परिजन के पास वापस चले गए हैं। इनमें अधिकतर बिहार, मध्यप्रदेश, यूपी व हरियाणा आदि के थे।
…और बेटियों का सहारा बना आश्रम
आश्रम की संचालिका रेणु खुराना ने बताया कि बीते चार साल के दौरान यहां आई दो मानसिक विक्षिप्त महिलाएं गर्भवती थी। यहां आने के कुछ दिन बाद स्वास्थ्य जांच के दौरान उनके गर्भवती होने का पता चला तो उनकी विशेष देखभाल की गई और उनका सुरक्षित प्रसव तक कराया गया। दोनों ही महिलाओं की बेटियां हुई। इनमें एक बेटी ईशिका की उम्र करीब तीन साल की तो दूसरी गुरबाणी की उम्र करीब एक साल है। महिलाओं के साथ आश्रम अब इन बेटियों का भी सहारा बना है। यही नहीं तीन साल पहले ईंट भ_े के एक श्रमिक ने अपनी पत्नी का कत्ल कर दिया। मामले में पति को जेल होने पर अनाथ हुए उसके दोनों बच्चों (एक पुत्र व एक पुत्री) का पालन पोषण भी यहीं हो रहा है।
स्वप्रेरणा से शुरू की सेवा…
आश्रम संचालिका खुराना ने बताया कि करीब 15 साल पहले नेत्रहीन एक वृद्धा कौशल्या देवी को करीब आठ साल तक अपने घर रखकर सेवा सुŸरुता की। वर्ष 2017 में उनके निधन के बाद उन्होंने असहायों के दु:ख को समझते हुए आश्रम संचालन का निर्णय किया। इसके बाद किराए के मकान से शुरू हुआ सेवा का यह सफर निरंतर जारी है और अब सेवादार पवन यादव की ओर से दान की गई आधा बीघा जमीन पर आश्रम का भवन भी निर्माणाधीन है। शिक्षिका के युवा पुत्र काव्य खुराना सहित पवन यादव, राधेश्याम छाबड़ा, सुशील मित्तल, लविश पाहवा, अमरजीत ङ्क्षसह, मास्टर रामदेव, मनमोहन मोंगा, मोहन धींगड़ा, राम चौधरी व दलजीतङ्क्षसह बराड़ सहित करीब दर्जनभर लोग सक्रियता से इस सेवाकार्य में जुटे हैं।
भामाशाह का किया सम्मान
उधर, आश्रम के निर्माणाधीन भवन के लिए सहयोग करने पर रविवार को हुए कार्यक्रम में भामाशाह सुनील शर्मा को स्मृति-चिन्ह देकर सम्मान किया गया। सेवादार राधेश्याम छाबड़ा ने बताया कि भामाशाह की ओर से करीब दो लाख रुपए की लागत से 50 हजार ईंटों का सहयोग किया गया। इस अवसर पर आश्रम से जुड़े अन्य कई सेवादार भी मौजूद रहे।

Home / Sri Ganganagar / सेवा की मिसाल: जिसका कोई नहीं उसका तो…यह ‘आश्रम’ है सहारा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.