…हम रोटी कहां खाएं?
फल-सब्जी विक्रेता रेहड़ी यूनियन के संरक्षक प्रहलादराय छाबड़ा व अध्यक्ष मोहन कल्याणा के नेतृत्व में आए करीब दो दर्जन रेहड़ी संचालकों ने तहसीलदार अमरसिंह भनखड़ को बताया कि गांव बंद के चलते विगत पांच दिन से फल-सब्जी नहीं पहुंचने से उनका कामकाज ठप है। इससे उनके परिवार की रोजी रोटी का जरिया ही खत्म हो गया है। रेहड़ी संचालकों ने कहा कि शहर के बाहर विभिन्न मार्गों पर नाके लगाकर अवैध रूप से वाहनों की तलाशी की जा रही है। इस पर सरकार व प्रशासन मौन क्यों है? उन्होंने कानून व्यवस्था तोडऩे वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की। मौके पर सब्जी विक्रेता मुकेश नारंग, लेखराज सूर्यवंशी, विक्की नायक, हुकम चंद, ओमसोलंकी, बुधराम, सतपाल, रणजीत व सतीश सहित कई अन्य रेहड़ी संचालक मौजूद थे।
नाकों पर दूध की शुद्वता की जांच
गांव बंद आंदोलन के तहत बनाए गए नाकों पर बिक रहे दूध में पानी की मिलावट की शिकायतों के मद्देनजर मंगलवार से वहां जांच की व्यवस्था की गई। गंगानगर किसान समिति के जिला कोषाध्यक्ष चमकौरसिंह बराड़ ने बताया कि मशीन से जांच कर ही दूध का बेचान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गाय का दूध चालीस रुपए व भैंस का दूध पचास रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है।
कल से गांव के बाहर लगेगा नाका…
जीकेएस जिला पदाधिकारी बराड़ ने बताया कि किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को दिल्ली में लिए निर्णय मुताबिक शहरों के बाहर बुधवार तक ही नाके लगाए जाएंगे। गुरुवार से यही व्यवस्था गांवों के लिए होगी। उन्होंने बताया कि आमजन के हित में ऐसा निर्णय लिया गया है।