गांव छापांवाली निवासी मुखराम वर्मा ने एसबीआइ की सादुलशहर शाखा से वर्ष 2016 में अपनी पांच बीघा जमीन पर साढ़े पांच लाख रुपए का लोन लिया था। यह कर्ज वह चुका नहीं पाया। मुखराम की अगस्त 2018 में कीटनाशी के प्रभाव के कारण मौत हो गई थी। इसके बाद उसके इकलौते पुत्र महेन्द्र वर्मा (37) पर घर चलाने की जिम्मेदारी के साथ-साथ कर्ज का बोझ आ गया था।
परिजनों का आरोप है कि पिछले कई दिन से महेन्द्र के पास बैंककर्मियों के फोन आ रहे थे। इससे वह परेशान रहने लगा था। महेन्द्र ने 12 फरवरी को सुबह कीटनाशी पी लिया। जिससे वह अचेत हो गया। परिजनों ने उसे सादुलशहर राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया, जहां से उसे गंभीर हालत में राजकीय चिकित्सालय गंगानगर भेज दिया गया। यहां से बीकानेर के लिए रेफर कर दिया गया। परिजनों ने इलाज के लिए उसे यहां एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां रविवार शाम को उसने दम तोड़ दिया था।
सोमवार सुबह परिजन, ग्रामीण व किसान संगठनों के पदाधिकारी यहां पहुंच गए। परिजनों ने कर्ज माफी, मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिलाने की मांग की और मृतक किसान का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। यहां परिजन, ग्रामीण व किसान संगठनों के लोग धरने पर बैठक गए।
इस दौरान सीओ ग्रामीण ताराराम, शादुलशहर थाना प्रभारी बलवंत राम, सदर थाना प्रभारी राजेश सिहाग, नायब तहसीलदार, पटवारी मौके पर पहुंच गए। दिनभर समझाइस का दौर चलता रहा लेकिन शाम तक परिजन व ग्रामीण नहीं माने और मांगों पर अड़े रहे।
अस्पताल में पूर्व विधायक हेतराम बेनीवाल, किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष अमरसिंह बिश्नोई, प्रवक्ता सुभाष सहगल, बार संघ अध्यक्ष विजय रेवाड, राजेन्द्र ज्याणी, अखिल भारतीय किसान संघ के पलाराम, गंगानगर किसान समिति प्रवक्ता संतवीर सिंह, अनिल, किसान दल के रघुवीर ताखर, जयकिशन, विनोद जाखड़, आरएलपी अध्यक्ष संजय सिहाग सहित अन्य लोग मौजूद थे।