श्री गंगानगर

दो माह से कतारों में किसान, नहीं हो रहा समाधान

प्रदेश का किसान पहले डीएपी खाद के लिए कतार में लगा तो अब यूरिया के लिए भी हालात कमोबेश वैसे ही हैं। श्रीगंगानगर जिले में तो हालात और भी विकट हैं। यहां किसान पिछले दो माह से कड़ाके की सर्दी में सुबह घंटों कतार में लगकर खाद ले रहा है। इधर, नए साल पर आई मावठ कारण गेहूं एवं जौ की फसल में यूरिया खाद की मांग और अधिक बढ़ गई है। जानकारों के अनुसार खाद की किल्लत एक माह तक और रह सकती हैं। सूरतगढ़ क्षेत्र के 10 सरकारी गांव के ग्राम सेवा सहकारी समिति ने पिछले एक वर्ष से यूरिया व डीएपी नहीं मंगवाई।

श्री गंगानगरJan 14, 2022 / 07:11 pm

महेंद्रसिंह शेखावत

दो माह से कतारों में किसान, नहीं हो रहा समाधान

श्रीगंगानगर. प्रदेश का किसान पहले डीएपी खाद के लिए कतार में लगा तो अब यूरिया के लिए भी हालात कमोबेश वैसे ही हैं। श्रीगंगानगर जिले में तो हालात और भी विकट हैं। यहां किसान पिछले दो माह से कड़ाके की सर्दी में सुबह घंटों कतार में लगकर खाद ले रहा है। इधर, नए साल पर आई मावठ कारण गेहूं एवं जौ की फसल में यूरिया खाद की मांग और अधिक बढ़ गई है। जानकारों के अनुसार खाद की किल्लत एक माह तक और रह सकती हैं। सूरतगढ़ क्षेत्र के 10 सरकारी गांव के ग्राम सेवा सहकारी समिति ने पिछले एक वर्ष से यूरिया व डीएपी नहीं मंगवाई। यहां साल में साढ़े आठ हजार से नौ हजार थैलों तक खाद बिकती थी।
6 से 1 बैग तक हुआ वितरण
सीजन के शुरुआत में कृषि विभाग की देखरेख में प्रति किसान को 6 बैग यूरिया का वितरण किया जा रहा था। यूरिया की मांग बढ़ी तो वितरण में कटौती शुरू हो हुई। एेसे में 6 बैग प्रति किसान के स्थान पर प्रति किसान एक बैग खाद दी जाने लगी। वर्तमान में कहीं प्रति व्यक्ति तीन तो कई दो बैग यूरिया दी जा रही है।
दिसम्बर माह तक जिले में गत वर्ष की अपेक्षा लगभग दो लाख बैग यूरिया कम वितरित की गई है। यूरिया की मांग 15 फरवरी तक बनी रहेगी। वर्तमान में सरसों की फसल फूलों पर आ गई है। ऐसी फसल को यूरिया की आवश्यकता नहीं हैं। पिछेती सरसों में यूरिया की जरूरत है। गेहूं में 15 फरवरी तक खाद की आवश्यकता रहेगी, लेकिन डीएपी की अब जरूरत नहीं है।
रामनिवास चौधरी, सहायक निदेशक कृषि विस्तार, अनूपगढ़
इनका कहना है
राज्य सरकार की मांग के अनुरूप केंद्र ने खाद की आपूर्ति कर दी है। राज्य सरकार ने मांग ही कम की, इसलिए खाद की दिक्कत आ रही है।
-बलबीर लूथरा, विधायक रायसिंहनगर।
रबी की फसल के बिजान के समय ही आवश्यकता अनुरूप यूरिया व डीएपी खरीद ली थी। छोटे किसान ब्याज बचाने के चक्कर में स्टॉक मेंटेन नहीं करते हैं, इसलिए उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।।
-जसविन्द्र सिंह बराड़, अध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा, जैतसर

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