धरनास्थल पर आयोजित समीक्षा बैठक में किसान प्रतिनिधियों ने प्रशासन व बैंक प्रबंधन को दो टूक शब्दों में वार्ता के दौरान बनी सहमति के तय समय पर बीमा क्लेम नहीं मिलने पर बैंक पर पुन: ताले जडऩे की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि फसल बीमा क्लेम को लेकर प्रशासन व बैंक प्रबंधन सकारात्मक रुख नहीं अपनाता है तो आंदोलन एक बार फिर से तेज कर दिया जाएगा। किसानों का 2016 में रबी फसल का तथा 2016-17 रबी व खरीफ दोनों फसलों का बीमा क्लेम बकाया है। किसानों ने कहा कि बैंक प्रबंधन ने कई क्षेत्रों में कपास की फसल का प्रीमियम काट दिया जबकि वहां कभी कपास की खेती हुई ही नहीं है। बुधवार को आनंद बिजारणिया, बंशीलाल देहडू, पवन कड़वासरा, रामचन्द्र सिहाग, रामस्वरूप गोदारा, दीवान गर्वा, रामप्रताप गोदारा, मांगीलाल सहारण, पप्पूराम कस्वां, इन्द्रपाल जाखड़, धन्नराम देहडू, कृष्णलाल आदि धरने पर बैठे। (नसं.)
फसल परिवर्तन अनुरोध नहीं मिला
बैंक के उच्च प्रबंधन का कहना है कि किसानों की ओर से पेश किए ऋण आवेदनों के अनुसार बैंक ने कपास की फसल का बीमा करवर प्रदान करने के लिए संबंधित बीमा कंपनी को बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है। ऋणदाता किसान अपने मूल ऋण आवेदन में इंगित फसल के स्थान पर बीमित फसल का नाम बदल सकते हैं लेकिन नामांकन के लिए कट-ऑफ की तारीख से तीस दिन पहले तक संबंधित शाखा को लिखित में सूचना देनी चाहिए। बैंक का तर्क है कि पीएमएफ बीवाई परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार दावा करने वाले किसानों से फसल परिवर्त का अनुरोध नहीं मिला था।
बैंक के उच्च प्रबंधन का कहना है कि किसानों की ओर से पेश किए ऋण आवेदनों के अनुसार बैंक ने कपास की फसल का बीमा करवर प्रदान करने के लिए संबंधित बीमा कंपनी को बीमा प्रीमियम का भुगतान किया है। ऋणदाता किसान अपने मूल ऋण आवेदन में इंगित फसल के स्थान पर बीमित फसल का नाम बदल सकते हैं लेकिन नामांकन के लिए कट-ऑफ की तारीख से तीस दिन पहले तक संबंधित शाखा को लिखित में सूचना देनी चाहिए। बैंक का तर्क है कि पीएमएफ बीवाई परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार दावा करने वाले किसानों से फसल परिवर्त का अनुरोध नहीं मिला था।