लेकिन विरोध के चलते तत्कालीन कलक्टर ने अपनी मंशा के अनुरूप आरओबी को कृषि अनुसंधान केन्द्र के पास स्थानांतरित करवा दिया। कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने इसका खासा विरोध किया। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। उस समय आजाद टाकीज फाटक और उससे आगे आरयूबी (रेलवे अंडर ब्रिज) बनाना प्रस्तावित था। लेकिन अब वह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चले गए हैं। पुराने पावर हाउस से होते हुए सड़क बनाने की योजना पर भी विराम लग गया है क्योंकि विद्युत निगम ने सड़क के लिए जगह देने से साफ मना कर दिया है। मतलब साफ है कि दुकानदारों के लिए अब कोई राह नहीं बची है।
तब मनाई थी खुशी
लक्कड़ मंडी रोड पर प्रस्तावित आरओबी स्थानांतरित हुआ था तो आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेताओं ने अपनी पीठ थपथपाई थी, वहीं दुकानदारों ने इसे बला टलने वाला बताते हुए खुशी मनाई थी। लेकिन वर्तमान में उनके लिए सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। लक्कड़ मंडी रोड पर अगर आरओबी बन भी जाता तो उनका कारोबार चलता रहता। क्योंकि गांवों से आने वाले उनके ग्राहक बीरबल चौक तक आरओबी के ऊपर से आकर उनकी दुकान पर खरीदारी के लिए पहुंच जाते। कृषि अनुसंधान के पास बने आरओबी से होकर वे किसी भी सूरत में इन दुकानों पर खरीदारी के लिए नहीं आएंगे। कश्मीरीलाल जसूजा और व्यापारियों का कहना है कि सबसे ज्यादा नुकसान पावर हाउस रोड के दुकानदारों का होगा। फाटक बंद होने से पंजाब क्षेत्र से आने वाले ग्राहक वहां नहीं आ पाएंगे।