राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में सात पदों के विपरीत दो चिकित्सकों के भरोसे डेढ लाख लोगों का स्वास्थ्य ठीक करने का जिम्मा है। प्रतिदिन 400 से अधिक बाह्य रोगी तथा बीस इंडोर रोगी इलाज के लिए आते हैं। रोजड़ी, पतरोड़ा, नाहरांवाली आदि प्राथमिक चिकित्सालयों से रैफर किए मरीज भी घड़साना के चिकित्सालय में भर्ती होते हैं। ऐसे में चिकित्सालय की स्थिति महत्वपूर्ण होने के बावजूद समस्याओं पर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है।
गरीब मरीज सर्वाधिक परेशान : राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में मुख्यमंत्री नि:शुल्क स्वास्थ्य योजना के तहत करीब 40 से अधिक लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। कई जांचों के अभाव में मरीज की बीमारी का सही आकलन भी नहीं हो पाता। इस कारण चिकित्सक बाहर से जांच के लिए परामर्श देते हैं। अनेक मरीज आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं होने पर बाहर से जांच नहीं करवा पाते हैं।
इनका अभाव: राजकीय चिकित्सालय में सर्वाधिक महत्वपूर्ण जांच ईएसआर, ईसीजी, सीबीसी, यूरिन टेस्ट, ओटीपीटी तथा रक्त की विभिन्न जांचों का अभाव होने से मरीज भटकने पर मजबूर हैं। इनमें कई जांचों के लिए मरीज को डेढ-दौ सौ रुपए प्रति जांच के लिए लगाने पड़ते हैं।
‘राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सा सुविधा का भट्ठा बैठ गया है। नि:शुल्क जांच नहीं होने पर गरीब लोगों को सर्वाधिक परेशानी हो रही है। एक माह से जांचें बंद हैं। चिकित्सा विभाग को तत्काल कदम उठाने चाहिएं। कांग्रेस पार्टी जनसमस्या पर प्रशासन के समक्ष घेराव प्रदर्शन कर विरोध जतायेगी।’
-जुगताराम पन्नू
‘नि:शुल्क जांचों के लिए आवश्यक केमिकल्स की आपूर्ति नहीं हो रही है। इस कारण रोगियों की बीमारी का सही आकलन के लिए आवश्यक जांच बाहर की लैब से कराने के लिए परामर्श दिया जाता हैं। जिला मुख्यालय से केमिकल्स आपूर्ति के टेंडर होने के बाद ही निशुल्क जांच कार्य प्रारम्भ हो सकेगा।’
-डॉ. गोविन्द रांकावत, प्रभारी सीएचसी, घड़साना