इस शिकायत के संबंध में रसद विभाग ने कार्रवाई की थी। लेकिन अब जिला रसद अधिकारी राकेश सोनी ने गैस एजेंसी संचालकों को आदेश दिया है कि गैस आपूर्ति की होम डिलीवरी के दौरान वजन तौलने वाली मशीन या कांटा होना जरूरी है।
ऐसा नहीं होने पर संबंधित गैस एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीएसओ ने बताया कि सिलेण्डर में कम गैस के संबंध में उपभोक्ता सीधे उनके कार्यालय में शिकायत दर्ज करवा सकते है। गैस की आपूर्ति करने वाले डिलीवरी मैन के पास वजन तौलने की मशीन होना जरूरी होगा। गैस सिलेण्डर की डिलीवरी लेते समय सील के साथ साथ उसका वजन करवाना उपभोक्ता का अधिकार है।
वजन तौलने वाली मशीन या कांटा नहीं है तो संबंधित गैस एजेंसी संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इधर, उपभोक्ताओं का कहना है कि गैस सिलेण्डर में एक किलोग्राम गैस की कीमत करीब 55 रुपए बनती है।
यदि किसी गैस एजेंसी ने एक सौ सिलेण्डर में एक-एक किलोग्राम यानि एक क्विंटल गैस कम दी तो यह लगभग साढ़े पांच हजार रुपए के रूप में कमाई होती है। इलाके में रोजाना एक हजार से अधिक विक्रय होते है तो यह आंकड़ा साढ़े पांच लाख रुपए पार कर जाता है।