श्री गोशाला न केवल गोवंश का शरणस्थली है बल्कि यहां दिनभर हजारों पक्षी भी दाना चुगने आते हैं। छोटे स्तर पर शुरू हुआ यह काम अब वृहद स्तर पर होने लगा है। जनसहयोग जुटाने के लिए गोशाला के अंदर बाकायदा सूचना भी लगा रखी है, जिसमें बताया गया है कि गोशाला में लगभग एक हजार फुट की छत है जिस पर परिंदे दाना चुगते हैं। यह छत का पूर्ण निर्माण करवाया जाना प्रस्तावित है, क्योंकि कई जगह छत जर्जर है, जहां पानी भरता है, इससे दाना खराब होता है। छत के नवनिर्माण के लिए गोसेवकों से मदद का आह्वान किया गया है। वैसे वर्तमान में यह आठ से दस हजार कबूतर और कौवे दिन भर दाना चुगते हैं। छत पर दिवंगत पक्षी प्रेमी बालकिशन तनेजा का बड़ा सा फोटो भी लगा है। तनेजा भी परिंदों को नियमित दाना डालते यहां आते थे। वर्तमान में परिंदों के दाना पानी की व्यवस्था का जिम्मा सोमनाथ खुराना ने संभाल रखा है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन करीब छह क्विंटल दाना परिंदों को डाला जा रहा है। और उसमें दानदाताओं का सहयोग भी मिल रहा है।
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सर्दी के मौसम में गोवंश को बड़ी परेशानी होती है। मूत्र एवं गोबर के कारण उनको बैठने के लिए सूखी जगह नही मिल पाती। धूप कम निकलने से यह समस्या गहरा जाती है। हालांकि ट्रेक्टर से गोबर को हटा दिया जाता है फिर भी कीचड़ बना रहता है। खेतों में बुवाई होने के कारण इन दिनों गोबर की खाद की खपत भी कम होती है। इस कारण गोशाला में कई जगह गोबर के ढेर लगे हैं। सर्दी से बचाव के लिए तिरपाल बांधे हुए हैं। वैसे गायों की श्रेणी के हिसाब से भी यहां व्यवस्था की गई है। घायल एवं बीमार गोवंश के लिए अलग बाड़ा है। वहां हीटर एवं गर्म कपड़े आदि का प्रबंध है। ब्याही हुई गायों का बाड़ा अलग है।
गोवंश की सेवा में सेवाभावी लोग हरा चारा, गुड़ आदि के साथ-साथ
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हरा चारा, गुड और सवामणी
गोवंश की सेवा में सेवाभावी लोग हरा चारा, गुड़ आदि के साथ-साथ सवामणी का प्रसाद भी करते हैं। सवामणी में दलिया या बाजरी, गुड़ व सरसों का तेल शामिल किया जाता है। इसको तैयार करने में पूरा दिन लग जाता है। जिसको सवामणी करनी होती है उसको एक दिन पहले बुकिंग करवानी होती है। गोशाला के अंदर की दो बडे कडाहों में सवामणी को तैयार किया जाता है। गोसेवकों की ओर से गोवंश के लिए शीतमहायज्ञ करवा जाता है। इसके माध्यम से गुड़ एकत्रित करने का आह्वान किया जाता है। पिछले साल शीतमहायज्ञ के जरिये छह सौ कार्टन गुड़ एकत्रित किया गया था। इस बार भी गोसेवकों से आह्वान किया गया है। एकत्रित गुड़ सर्दी के मौसम में गोवंश को खिलाया जाता है।