मेडिकल कॉलेज फायदा किसको
विद्यार्थी: श्रीगंगानगर में 150 एमबीबीएस की सीटों का मेडिकल कॉलेज की खुलने की आस बंधी। इससे हर साल 150 युवक युवतियां डॉक्टर बनते। चालीस से पचास लाख रुपए खर्च करने की जगह एक डॉक्टर बनने के लिए महज 2250 रूपए सालाना यानि पांच साल तक महज 11हजार 250 रुपए ही खर्च होते।
जनता: 400 बिस्तर का नया चिकित्सालय बनना भी था। इसके साथ मौजूदा चिकित्सालय के 350 बिस्तर जोडऩे पर इलाके के लोगों को आधुनिक चिकित्सा 750 बैड पर मिलने वाले थे। नया मेडिकल कॉलेज बनने से उपचार के लिए दिल्ली या जयपुर जैसे दूरदराज स्थानों पर नहीं जाना पड़ता।
रोजगार: जिला मुख्यालय पर होटल व्यवसाय को बढ़ावा मिलता। मेडिकल हब की तरह इलाका विकसित होता। नर्सिग की पढ़ाई करने वाले सैंकड़ों विद्यार्थियों को बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा मिलती।
प्रोपर्टी: मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास के बाद आसपास कॉलोनियों में भूखण्डों के दाम एकाएक बढ़ गए थे, लेकिन अब यह मंदा पड़ गया है। यदि यह कॉलेज बनता है तो आसपास इलाके में प्रोपर्टी की एकाएक मांग बढ़ जाएगी।
राजस्व: इलाके में इस कॉलेज के बाद एकाएक रोगियों और उनके परिजनों की आवाजाही बढऩे से हर स्तर के धंधे में कमाई में इजाफा होता तो राजस्व की प्राप्ति होती।
राजनीति-इस कॉलेज के निर्माण से कांग्रेस को ऑक्सीजन मिलेगी। वहीं स्थानीय विधायक राजकुमार गौड़ का कद बढ़ेगा।