ड्यूटी कटवाने के लिए कई जने तो इधर-उधर से सिफारिश भी करवा रहे हैं। कुछ इसके लिए जन प्रतिनिधियों तक पहुंचे हैं तो कई जनों ने वरिष्ठ अधिकारियों का सहारा लिया है। ड्यूटी लगाने-काटने के काम से जुड़े कर्मचारियों के स्थानीय सम्पर्कों तक को भी टटोला गया है।
इधर, निर्वाचन आयोग बहुत सख्त, दिया हनुमानगढ़ का उदाहरण
राज्य निर्वाचन आयोग चुनावी ड्यूटी में आनाकानी पर बहुत सख्त है। गत पखवाड़े उसने शिक्षा विभाग के शासन सचिव को पत्र लिख कर इस बात पर नाराजगी जताई है कि हनुमानगढ़ में उनका विभाग चुनावी कार्य में सहयोग नहीं कर रहा है। अधिकारी एवं कर्मचारी कोताही बरत रहे हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस पत्र की प्रति बकायदा सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को भी भेजी है। इसमें लिखा है कि चुनाव राष्ट्र हित का महत्वपूर्ण कार्य है। इसे समय पर किया जाना जरूरी है। जिन कार्मिकों की ड्यूटी लगाई जाए, तुरंत कार्यमुक्त किया जाना चाहिए जिससे कि चुनाव कार्य सम्पन्न करवाने में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए।
ड्यूटी कटवाने के लिए माता-पिता की सेवा के अलावा अलग-अलग तरह के कारण बताए जा रहे हैं। इनमें से कुछ कारण इस तरह से हैं-पेट में डला है स्टंट, कमर में रहता है दर्द, पड़ चुका है दिल का दौरा, आंखों से दिखता है कम, घुटनों में रहता है दर्द।
अपने अधीनस्थों की ड्यूटी कटवाने की कोशिश में कई विभागाध्यक्ष भी पीछे नहीं हैं। वे अपने यहां स्टाफ की कमी, अति व्यस्तता का समय जैसे कई कारण गिनाते हुए आग्रह कर रहे हैं कि उनके कार्यालय के कर्मचारी को मुक्त किया जाए।