दोपहर को तापमान अधिक रहने के कारण स्मॉग कुछ ऊपर उठ जाता है और शाम को तापमान में कमी के कारण नीचे बैठने लगता है। सुबह तक यह काफी नीचे आ जाता है। इससे कोहरे जैसा एहसास होता है। इस दौरान दिखाई कम देने के कारण हादसे होने का भी खतरा बना रहता है।
राजकीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. पवन सैनी ने बताया कि इनदिनों छाया रहने वाला स्मॉग धुआं व सर्दी का मिक्सर है। तापमान कम होने के कारण यह ऊपर नहीं उठ सकता है। इसलिए नीचे गिरता रहता है। स्मॉग में काफी मात्रा में एलर्जी के किटाणु होते हैं। इसके चलते मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह नाक में खुजली, जुकाम, खांसी व बुखार को बढ़ा देता है। ऐसे मौसम में एलर्जी से होने वाली बीमारियां बढ़ जाती है। चिकित्सालय में ऐसे काफी मरीज आउटडोर में प्रतिदिन आ रहे हैं। बारिश होने के बाद ही स्मॉग से छुटकारा मिल सकता है।