हैंडबाल ने दी सरकारी नौकरियां
लालगढ़ जाटान के युवाओं को हैंडबाल की वजह से सरकारी नौकरियां भी नसीब हुई हैं। इनकी संख्या सौ के करीब हैं। अकेले इस गांव से तीस शारीरिक शिक्षक हैं। इसके अलावा सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, वायुसेना, नौसना, रेलवे आदि में भी गांव के युवा बड़ी संख्या में हैं। हाल ही हुई राजस्थान पुलिस की भर्ती में कांस्टेबल पद के लिए खेल कोटे में यहां के पांच युवकों ने शारीरिक दक्षता परीक्षा पास की है।
लालगढ़ जाटान के युवाओं को हैंडबाल की वजह से सरकारी नौकरियां भी नसीब हुई हैं। इनकी संख्या सौ के करीब हैं। अकेले इस गांव से तीस शारीरिक शिक्षक हैं। इसके अलावा सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, वायुसेना, नौसना, रेलवे आदि में भी गांव के युवा बड़ी संख्या में हैं। हाल ही हुई राजस्थान पुलिस की भर्ती में कांस्टेबल पद के लिए खेल कोटे में यहां के पांच युवकों ने शारीरिक दक्षता परीक्षा पास की है।
इन शिक्षकों की बदौलत हुआ कमाल
लालगढ़ जाटान में हैंडबाल शुरू करवाने तथा उसके आगे बढ़ाने में दो शिक्षकों के नाम खास तौर पर लिए जाते हैं। दोनों शिक्षकों ने खुद की जेब से पैसे देकर इस खेल को आगे बढ़ाया। इन शिक्षकों में पहला नाम राजकुमार शर्मा का आता है। उन्होंने 1986 में हैंडबॉल को छोटे स्तर पर शुरू किया था। इसके बाद 1990 में प्रतियोगिता का दौर शुरू हुआ और 1994 में इसके सुखद परिणाम आने शुरू हुए, जो अनवरत जारी है। दूसरे शिक्षक थे रिछपाल भादू। उन्होंने भी हैंडबाल खूब आगे बढ़ाया। उनका निधन हो चुका है, लेकिन परिजन उनकी स्मृति में हर साल राष्ट्रीय स्तर की हैंडबाल प्रतियोगिता करवाते हैं।
लालगढ़ जाटान में हैंडबाल शुरू करवाने तथा उसके आगे बढ़ाने में दो शिक्षकों के नाम खास तौर पर लिए जाते हैं। दोनों शिक्षकों ने खुद की जेब से पैसे देकर इस खेल को आगे बढ़ाया। इन शिक्षकों में पहला नाम राजकुमार शर्मा का आता है। उन्होंने 1986 में हैंडबॉल को छोटे स्तर पर शुरू किया था। इसके बाद 1990 में प्रतियोगिता का दौर शुरू हुआ और 1994 में इसके सुखद परिणाम आने शुरू हुए, जो अनवरत जारी है। दूसरे शिक्षक थे रिछपाल भादू। उन्होंने भी हैंडबाल खूब आगे बढ़ाया। उनका निधन हो चुका है, लेकिन परिजन उनकी स्मृति में हर साल राष्ट्रीय स्तर की हैंडबाल प्रतियोगिता करवाते हैं।
खिलाडिय़ों में खुशी की नहर लालगढ़ जाटान में हैंडबाल एकेडमी खोलने की घोषणा पर खिलाडय़ों में खुशी की लहर है। शारीरिक शिक्षक व हैंडबाल कोच जसविंदर सिंह गोगी ने बताया कि हैंडबाल ने परिवार को तीन सरकारी नौकरी दी है। स्कूल से फ्री होने के बाद वे खुद युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। गांव में हैंडबाल एकेडमी खुलेगी तो खिलाडिय़ों को और अधिक अवसर मिलेंगे। खिलाड़ी सुखपाल व हरफूल सिंह का कहना है कि गांव में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं होती हैं। हैंडबाल एकेडमी खुलने से स्थानीय खिलाडिय़ों को और अधिक अवसर मिलेंगे।
गांव में हैं पांच मैदान
गांव में हैंडबाल के पांच मैदान है। एक मैदान पर डे नाइट मैच की व्यवस्था भी है। इन मैदानों पर गांव के सैकड़ों युवा अभ्यास कर रहते हैं। पास ही सेना की छावनी है। इस कारण गांव के दो हैंडबॉल खिलाड़ी प्रतिदिन छावनी में जाकर कई यूनिटों में प्रशिक्षण भी देते हैं। इसके अलावा छावनी से सैनिक खिलाड़ी सुबह शाम अभ्यास करने के लिए लालगढ़ मैदानों पर आते हैं।
गांव में हैंडबाल के पांच मैदान है। एक मैदान पर डे नाइट मैच की व्यवस्था भी है। इन मैदानों पर गांव के सैकड़ों युवा अभ्यास कर रहते हैं। पास ही सेना की छावनी है। इस कारण गांव के दो हैंडबॉल खिलाड़ी प्रतिदिन छावनी में जाकर कई यूनिटों में प्रशिक्षण भी देते हैं। इसके अलावा छावनी से सैनिक खिलाड़ी सुबह शाम अभ्यास करने के लिए लालगढ़ मैदानों पर आते हैं।