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हनुमानगढ़ रोड फिर जर्जर, पानी में बह गए पेचवर्क

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 22, 2019 06:58:56 pm

Submitted by:

surender ojha

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Hanumangarh road again shabby, paveworks flowing in water

हनुमानगढ़ रोड फिर जर्जर, पानी में बह गए पेचवर्क

श्रीगंगानगर। करीब दो सप्ताह पहले सीवर ठेका कंपनी एल एंड टी ने हनुमानगढ़ रोड पर पिछले एक साल से खोदी गई सीवर लाइन के बाद बिखरी सडक़ का जीणोद्धार करवाया था, तब यह दावा किया गया कि इस रोड पर अब राहगीरों को अधिक सुविधा रहेगी। लेकिन पिछले दिनों आई बरसात ने पेचवर्क ही उखाड़ दिए। इस कारण हनुमानगढ़ रोड पर बालाजी धाम मंदिर से लेकर जिन्दल रिसोर्ट तक पूरी सडक़ ही बिखर चुकी है।
यहां भी कभी सडक़ हादसा हो सकता है। सडक़ निर्माण सामग्री में डामर तो पानी लगते ही बिखर चुका है और वहां ग्रिट इस कदर बिखरी हुई है कि फिसलन से वाहन आए दिन वहां पलटते पलटते बचते है। सडक़ के बीचोंबीच गड्ढे हो चुके है। बिखरी निर्माण सामग्री पर भारी वाहनों के कुचलने से यह धूल के गुब्बार में तब्दील हो चुकी है, जैसे ही ऐसे भारी वाहन वहां से गुजरते है तो धूल इतनी इतनी गहरी परत बन जाती है कि यह दुपहिया वाहन चालको के लिए दुर्घटना का सबब बन गई है।
रात के समय स्ट्रीट लाइट खराब रहने पर इस रोड से गुजरना किसी जोखिम से कम नहीं। मनमर्जी इतनी कि कलक्टर का भी कंट्रोल नहीं सीवरेज लाइन बिछाने के नाम पर शहर में करीब 500 करोड़ रुपए का बजट खपाने की महज खानापूर्ति हो रही है। शहर के प्रथम चरण में बिछाई गई लाइनों का अब तक इस्तेमाल तक नहीं किया गया है तो वहीं दूसरे चरण में बिछाई जा रही सीवर लाइन के नाम अनियमितताएं अधिक है।
ऐसे में सडक़ों के बीच में जो चैम्बर डाले गये हैं, इन चैम्बरों का लेवल भी ठीक नहीं है। कई-कई जगह पर चैम्बर सडक़ से आधा फुट से लेकर डेढ़ फीट तक ऊंचे हैं, जिस कारण इन सडक़ों पर किसी भी प्रकार का आवागमन नहीं हो सकता है। ठेका कंपनी की मनमर्जी इतनी कि कलक्टर का भी इन पर कंट्रोल नहीं है। नियम के तहत जहाँ भी निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, उस दिन की तारीख व कितने समय में कार्य को पूर्ण करना है, इसकी अवधि अंकित की जाती है तथा इसके साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी व ठेकेदार का नाम व मोबाइल नम्बर भी निर्माण कार्य स्थल पर अंकित किया जाता है, लेकिन इस नियम की सरासर धज्जियां उड़ाई गई है।
सीवरेज कम्पनी व रूडिफको के अधिकारियों ने शहर के बाहरी इलाकों में जहाँ पर कॉलोनियां अभी बसी नहीं हैं, कृषि भूमि हैं, जिनमें सांठ-गांठ करके सीवरेज की पाईप लाईन व पानी की पाईप लाईन डाल दी गई। इस प्रकार से सीवरेज कम्पनी के अधिकारियों-कर्मचारियों ने करोड़ों रूपयों का कार्य ऐसे क्षेत्र में किया है, जहाँ पर कोई आबादी नहीं है तथा सरकारी रिकार्ड में यह कृषि भूमि है।
सीवर प्रभावित लोगों का कहना है कि यदि राज्य सरकार इस मामले की गहनता से जांच करवाएं तो यह बड़ा खुलासा हो सकता है। लेकिन करवाए कौन, यह सवाल भी बना हुआ है।
छह साल पहले वर्ष 2013 में नगर विकास न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष ज्योति कांडा ने नेहरानगर में सीवेज प्रोजेक्ट का प्रथम चरण शुरू करवाया था लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इस इलाके की सुध तक नहीं ली। पंचायत चुनाव, विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव आ चुके है लेकिन नेहरानगर में बिछाई गई सीवर लाइनों से पानी निकासी की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है। इन सीवर लाइन में पानी एकत्र रहने से डेगूं मच्छर जैसे पनप चुके है। पिछले पांच सालों में काफी रोगी डेगूं से बीमार भी हुए लेकिन एक्शन अब तक नहीं हो पाया है।
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