केसरीसिंहपुर. करोड़ों रुपए खर्च कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए आलीशान भवन तो बना दिया गया परन्तु सरकार पर्याप्त चिकित्सकों की व्यवस्था नहीं कर पाई। जिससे यह सीएचसी एकमात्र चिकित्सक के भरोसे ही संचालित हो रही है। यह स्थिति विगत दो-तीन सालों से बनी हुई है। चिकित्सालय में डॉक्टरों के नहीं होने से अधिकांश मरीजों को श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में रेफर करना पड़ता है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सीएचसी में आपात स्थिति से निपटने की भी व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में केसरीसिंहपुर सहित कई गांवों के हजारों लोग यहा उपचार की आस में आते हैं लेकिन यहां सिर्फ एक डॉक्टर है उन्हें भी प्रतिनियुक्ति पर लगाया हुआ है। यहां नियुक्त तीन चिकित्सकों को दूसरी जगह प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा है। इस सीएचसी में कुल स्वीकृत 27 में 14 पद अर्से से खाली हैं। चिकित्सकों के भी नौ पद सृजित हैं। सीएचसी की एक्सरे मशीन तक नाकारा है। ऐसी स्थिति में आमजन को उपचार के लिए निजी चिकित्सालयों या जिला मुख्यालय जाना पड़ता है।
जैतसर में आवश्यक उपकरण तक नहीं
जैतसर. कस्बे सहित आसपास की आठ ग्राम पंचायतों एवं दर्जनभर से अधिक गांवों, चकों और ढाणियों के हजारों लोगों के लिए स्थापित किया गया जैतसर का राजकीय आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सिर्फ कहने को ही आदर्श है। अस्पताल में न तो पीने के पानी का समुचित प्रबंध है और न ही उपचार के लिए समुचित चिकित्सा उपकरण। अस्पताल में साफ-सफाई का अभाव है। वहीं एक्स-रे मशीन अरसे से खराब पड़ी है।
मिर्जेवाला. सांसद आदर्श ग्राम पंचायत का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के रंगरोगन तो अच्छा है परन्तु इसमें लेबर रूम तक बंद है। आपरेशन थिएटर भी बंद है। पिछले दो माह से नसबंदी शिविर भी आयोजित नहीं हो रहा। यह भवन की समस्या के कारण ही है।दो साल से एनएम का पद खाली है। टीकाकरण के लिए पास के ही गांव से एएनएम को बुलाना पड़ता है।
मोरजंडखारी. यहां का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिना चिकित्सक के संचालित हो रहा है। जांच की तो कल्पना करना ही बेमानी है। यह अस्पताल जीएनएम के बूते ही संचालित हो रहा है। ग्रामीणों के अनुसार स्टाफ का व्यवहार भी संतोषजनक नहीं है। मोरजंडखारी पीएचसी के अधीन दो सब सेंटर सरदारपुरा जीवन और ममडख़ेड़ा आते हैं। इन गांवों के लोगों चार-पांच किमी का सफर करके यहां आने पर भी पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती।
रामसिंहपुर से बीस किमी दूर ग्राम पंचायत गोमावाली में 20 मई 2015 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया गया था। भवन में 18 कमरे बनाए गए हैं। इसके अधीन पांच ग्राम पंचायतों के सब सेंटर हैं। स्टाफ की कमी के चलते यहां के लोगों को तेज बुखार व प्रसव आदि के लिए रामसिंहपुर या अनूपगढ़ जाना पड़ता है। इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्साधिकारी, एक प्रथम श्रेणी नर्स, एक द्वितीय श्रेणी नर्स और एक लैब तकनीशियन का स्टाफ है। लैब तकनीशियन संविदा पर है। छह पद खाली पड़े हैं। स्टाफ की कमी के चलते पांच ग्राम पंचायतों के छह सब सेंटरों पर दवा वितरण भी नहीं हो पाता। यहां महिला व पुरुष वार्ड अलग-अलग होने के बावजूद भी एक ही बैड होने से रोगियों को एडमिट करना मुश्किल हो जाता है।
राजियासर. टिब्बा क्षेत्र के एकमात्र सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र में अव्यवस्थाओं का आलम है, चिकित्सालय में सीबीसी जांच मशीन तीन माह से खराब पड़ी है। चिकित्सकों की कमी भी रोगियों को खल रही है। स्वीकृत पांच चिकित्सको में से वर्तमान में एक चिकित्सा प्रभारी और एक आयूष चिकित्सक ही है। नर्सिंग स्टाफ में आधे पद खाली हैं। चिकित्सालय के वर्षों पुराने जर्जर भवन में मोर्चरी चल रही है। जिसके गिरने का भय बना हुआ है। विधायक राजेन्द्र भादू ने मोर्चरी निर्माण की घोषणा की हुई है।