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SriGanganagar तनाव और फास्ट फूड से बढ़ी दिल की बीमारी

locationश्री गंगानगरPublished: Sep 28, 2022 09:32:59 pm

Submitted by:

surender ojha

Heart disease increased due to stress and fast food- विश्व ह्रदय रोग दिवस पर विशेष: अनियमित दिनचर्या का सीधा असर हार्ट पर
 

SriGanganagar तनाव और फास्ट फूड से बढ़ी दिल की बीमारी

SriGanganagar तनाव और फास्ट फूड से बढ़ी दिल की बीमारी

श्रीगंगानगर। बदलते परिवेश में भागदौड़ भरी जिंदगी, मिलावटी खाना, धूम्रपान, तनाव और दूषित वातावरण ने आम लोगों की दिनचर्या को अनियमित कर दिया है। तनाव को झेलने की बजाय उस अपने अंदर दबाए रखने और अनियमित दिनचर्या का सीधा असर लोगों के दिल पर भी पड़ रहा हैं। इससे ह्रदय रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। वहीं युवाओं की मौत भी होने लगी हैं। युवाओं का हार्ट फेल होना या हाई अटैक आने में फास्ट फूड और धूम्रपान की वजह बताई जा रही है। इलाके में हर साल होने वाली मौतों में करीब बीस से तीस प्रतिशत ह्रदय रोग का आंकड़ा सामने आया है।
चिकित्सकों का कहना है कि हर साल यह संख्या बढ़ रही है। यह बीमारी सामने के आने के बाद लोग परहेज करते है जबकि इस बीमारी को पहले आने से रोका जा सकता है। ज्ञात रहे कि हर उम्र के लोग, चाहे वह बड़े बुजुर्ग हों या कम उम्र के बच्चे व युवा हृदय रोग से ग्रसित हो रहे हैं। लोगों को हृदय रोग संबंधी समस्याओं से बचने और हृदय रोग के प्रति लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से हर साल पूरे विश्व में 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष कैम्प का आयोजन कर लोगों की जांच भी की जाती है।
इस बीच, धूम्रपान, तंबाकू, शराब के कारण दिल की नलियां सिकुड़ जाती हैं। इससे खून भी गाढ़ा होता है।
इससे हार्ट अटैक की आंशकानाएं तीन गुना बढ़ जाती हैं। वहीं फास्टफूड में कैलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होती है, जिससे रक्त की धमनियां सिकुड़ती हैं और हार्ट अटैक की संभावनाएं पैदा करती हैं। इसके अलावा डायबिटीज, मोटापा, तनाव, डिप्रेशन भी दिल को प्रभावित करते हैं। वही मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं डिसलिपिडिमिया से पीडि़त रोगी भी दिल की बीमारी से ग्रस्ति हो सकते है।
इधर, पूरे जिले के सरकारी अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन जैसे विशेषज्ञ नहीं है। यहां तक कि जियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी की सुविधा नहीं है। ऐसे में लोगों को मजबूरन प्राइवेट हॉस्पिटल या बीकानेर पीबीएम में उपचार के लिए ले जाना पड़ता है। उधर, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिला मुख्यालय पर सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू होने पर यह सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी। चिकित्सकेां की माने तो चिरंजीवी योजना में जरूरतमंद के अलावा कोई भी व्यक्ति अपना पंजीयन करवाकर प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार करवा सकता है। जिला मुख्यालय पर कई प्राइवेट हॉस्पिटल में एंजियोप्लास्टी सुविधा को चिरंजीवी योजना से निशुल्क सुविधा ले सकते हैं।
इस बीच, राजकीय जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजिशयन डा. पवन सैनी का कहना है कि शरीर के हर अंग रात को आराम कर सकते है लेकिन हार्ट कभी आराम नहीं करता। जन्म से पहले अपनी मां के गर्भ धारण के दौरान हार्ट काम करने लगता है। ऐसे में इस हार्ट की धमनियों को सुचारू रूप से दुरुस्त कराने या संचालित कराने के लिए तनाव हावी नहीं होना चाहिए। छोटे बच्चों को खेलकूद और युवाओं को नियमित घूमना जरूरी है। वहीं जिनके घरों में पहले से पूर्वजों को हार्ट की बीमारी है तो वे रोगी भी इसकी चपेट में आ सकते है। राजकीय जिला चिकित्सालय में कार्यरत ह्रदय रोग विशेषज्ञ डा.केएस कामरा का कहना है कि युवाओं में तनाव ज्यादा हावी होने लगा है। महज तीस साल की आयु वर्ग के युवाओं में यह दिल की बीमारी चिंता का विषय है। स्मॉकिंग और अनियमित लाइफ स्टाइल इसकी मुख्य वजह बन रही है।
जिले के सरकारी अस्पताल में रोगियों की संख्या में कमी नहीं हुई है। कोरोनाकाल में उपचार की प्रक्रिया ठप होने के कारण ऐसे रोगियों की संख्या सीमित रही। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के रेकार्ड के अनुसार कोरोनाकाल के बाद रोगियों की संख्या में तेजी आई है। पिछले वित्तीय वर्ष में रेकार्ड तोड़ रोगी 568 तक पहुंच गए। इसमें प्राइवेट हॉस्पीटल में आने वाले रोगियों की संख्या शामिल नहीं है।
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फैक्ट फाइल
अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक = 45
अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक = 185
अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक = 568
अप्रैल 2022 से अगस्त2022 तक= 183
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