सूत्रों के अनुसार अगस्त 2017 में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट बनाने वाली कंपनी रियल मेजॉन का टेण्डर निरस्त हो गया था। इस पर परिवहन विभाग ने कोलकात्ता की सेलेक्स प्राइवेट लिमिटेड को हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट बनाने का ठेका दे दिया। इस पर रियल मेजॉन परिवहन विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट में चली गई। कंपनी को यहां से कोई राहत नहीं मिली तो इस पर रियल मेजॉन सुप्रीम कोर्ट चली गई। उच्चतम न्यायालय में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट के मामले में दोबारा रिटेडरिंग करने के आदेश दिए। अब इस मामले में ई-टेडरिंग की प्रक्रिया की जानी है। परिवहन विभाग अभी तक ई-टेडरिंग को अमलीजामा नहीं पहना पाया है। इससे मामला अधर में लटका हुआ है।
वाहन मालिकों पर पड़ेगा दोहरा भार
जिला परिवहन कार्यालय में पिछले 6 माह के दौरान लगभग 30 हजार वाहनों का पंजीयन हो चुका है। इन वाहनों पर साधारण नम्बर प्लेटें लग रही हैं। परिवहन विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट के मामले में विवाद का निपटारा होने के बाद सभी को यूनिक नम्बर वाली प्लेट लगवानी होगी। इससे वाहन मालिकों पर नम्बर प्लेट के मामले में दोहरा आर्थिक भार पड़ेगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वाहनों पर साधारण नम्बर प्लेट लगने के बाद वाहन चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं।
क्या है हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट
हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट में एक यूनिक नम्बर होता है, इस यूनिक नम्बर प्लेट को वाहन की बॉडी के साथ फिट किया जाता है। यह प्लेट बदली नहीं जा सकती। नम्बर प्लेट के लोगो में वाहन की पूरी डिटेल होती है। सुप्रीम कोर्ट की एक गाइड लाइन में सभी वाहनों पर रजिस्ट्रेशन नम्बर को लेकर एक रूपता बनाए रखने की दृष्टि से हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट सिस्टम को देश भर में लागू किया हुआ है।
इनका कहना है
मुख्यालय से आदेश का है इंतजार
यह जयपुर मुख्यालय के स्तर का मामला है। फिलहाल नए वाहन के मालिक साधारण नम्बर प्लेट लगा रहे हैं। इस बारे में मुख्यालय से आदेश मिलने के बाद आगामी कार्रवाई होगी।
– जुगलकिशोर माथुर, जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर