———————— राहुल की दास्तां पिता लक्ष्मणराम बावरी ने बताया कि राहुल कक्षा 8 में पढ़ रहा था कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय करीब पांच माह पूर्व उसे बुखार हुआ। बुखार ठीक नहीं होने पर उसे श्रीगंगानगर के एक निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। जांच आदि के बाद चिकित्सकों ने बताया कि राहुल का इलाज लम्बा चलेगा तथा चिकित्सकों ने जयपुर रेफर कर दिया। वहां चिकित्सकों ने राहुल के दिमाग का ऑपरेशन किया। चिकित्सकों ने दिमाग से एक हड्डी को निकालकर पीडि़त राहुल के परिजनों को सौंप दिया और कहा जब राहुल को होश आएगा, तब इसका दोबारा ऑपरेशन होगा। इस हड्डी को पांच माह के भीतर ही पुन: लगा दिया जाएगा। होश आने तक इस हड्डी को फ्रिज में रखने की सलाह दी गई। करीब एक माह पूर्व राहुल के सिर में पानी भरने पर डॉ. दीपक आनन्द को दिखाया गया। उन्होंने चण्डीगढ़ के पीजीआइ हॉस्पीटल रेफर कर दिया। वहां चिकित्सकों ने राहुल का एक और ऑपरेशन किया तथा फ्रिज में रखी दिमाग की हड्डी को पुन: स्थापित करने के लिए दीपावली बाद ऑपरेशन की सलाह दी व बताया कि ऑपरेशन के बाद राहुल को होश आने की उम्मीद है।
—————————- जेवरात बेचे व ब्याज पर कर्ज उठाया
पिता लक्ष्मणराम व माता लक्ष्मी देवी ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए उन्होंने जेवरात तक बेच दिए। परिवार के दूसरे सदस्य दादा, दादी, बुआ व अन्य परिजनों ने भी अपने जेवरात रहन रखे हुए हैं। करीब दस-बारह लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। अब चिन्ता सताने लगी है कि दिवाली बाद होने वाले ऑपरेशन के लिए पैसे कहां से लेकर आएंगे। राहुल की बीमारी पर प्रतिदिन का खर्च घर में रहने के दौरान 200 रुपए लग रहा है। गांव के युवाओं ने पीडि़त परिवार को करीब दस हजार रुपए का आर्थिक सहयोग दिया है। रिश्तेदार, ग्रामीण आदि राशन के सामान का सहयोग कर रहे हैं।
पिता लक्ष्मणराम व माता लक्ष्मी देवी ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए उन्होंने जेवरात तक बेच दिए। परिवार के दूसरे सदस्य दादा, दादी, बुआ व अन्य परिजनों ने भी अपने जेवरात रहन रखे हुए हैं। करीब दस-बारह लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। अब चिन्ता सताने लगी है कि दिवाली बाद होने वाले ऑपरेशन के लिए पैसे कहां से लेकर आएंगे। राहुल की बीमारी पर प्रतिदिन का खर्च घर में रहने के दौरान 200 रुपए लग रहा है। गांव के युवाओं ने पीडि़त परिवार को करीब दस हजार रुपए का आर्थिक सहयोग दिया है। रिश्तेदार, ग्रामीण आदि राशन के सामान का सहयोग कर रहे हैं।
—————– नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ परिवार के पास भामाशाह की पात्रता होने के बावजूद भी इलाज में किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिली। पिता लक्ष्मणराम बावरी ने बताया कि दिमाग संबंधी बीमारी के इलाज के लिए भामाशाह में कोई सुविधा नहीं है, इस कारण इलाज का सम्पूर्ण खर्च परिवार को उठाना पड़ा। ऐसी योजनाओं का क्या फायदा, जिसमें पूरे शरीर की बीमारियों के इलाज की सुविधा न हो। इसके अलावा परिवार को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ भी आवेदनों में सिमट कर रह गया है। लक्ष्मणराम ने आरोप लगाया कि ग्राम सरपंच को भी अनेकों बार हमारी पीड़ा के बारे में अवगत करवाया गया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।