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पूरे प्रदेश में अब मनमर्जी से नहीं लग सकेंगे होर्डिंग्स

locationश्री गंगानगरPublished: Aug 07, 2018 06:29:58 am

Submitted by:

pawan uppal

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पूरे प्रदेश में अब मनमर्जी से नहीं लग सकेंगे होर्डिंग्स

श्रीगंगानगर.

पूरे प्रदेश के शहरी क्षेत्र में नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में होर्डिंग्स साइट का ठेका गलफांस बन गया है। हर संभाग क्षेत्र में नगर पालिका या परिषद ने अपनी उपविधियां बनाकर मनमर्जी से होर्डिंग्स साइट का ठेका राशि वसूल रहे हैं, ऐसे में ठेकेदार और परिषद या पालिका प्रशासन के लिए यह उप विधियां सिरदर्द बन चुकी हैं। वहीं दो साल पहले बाजार में तेजी होने के कारण होर्डिंग्स साइट की बोली लेने के लिए ठेका फर्मों ने ऊंचे दाम बोलकर ठेका छुड़ा लिया, लेकिन अब बाजार में जैसे ही मंदी आई तो पिछले साल के बराबर राजस्व वसूली नहीं हो रही है।
अब डीएलबी ने पूरे प्रदेश में जीएसटी की तरह होर्डिंग्स साइट का ठेका एक समान करने के लिए रुडिफको से प्रस्ताव तैयार करवाया है। इससे प्रत्येक स्थानीय निकाय का एक ही रेट होने से मनमर्जी का सिस्टम समाप्त होने का दावा किया जा रहा है। श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर नगर परिषद प्रशासन ने होर्डिंग्स साइट का ठेका पिछले छह महीने से अटका रखा है। तीन बार खुली बोली भी हुई, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाई है।

बन रही पॉलिसी
रुडिफको ने कई नगर परिषद और नगर पालिकाओं से होर्डिंग्स साइट ठेके को लेकर आए दिन होने वाले विवाद और राजस्व वसूली के बारे में फीडबैक लिया है। इस कंपनी के अधिकारियों की माने तो हर नगर परिषद या पालिका ने अपने बोर्ड की मीटिंग में उपविधियां बनाकर होर्डिंग्स साइट किराये के लिए सुविधा बना रखी है, लेकिन बड़े शहरों तुलना में प्रचार प्रसार के एवज में उतना राजस्व नहीं मिल पाता जितने की संबंधित पालिका या परिषद हकदार है।
ऐसे में राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्र में होर्डिंग्स साइट का ठेका एक ही कंपनी को अधिकृत करने के लिए योजना तैयार की है। इसका खाका तैयार भी हो चुका है। अधिकारियों का कहना है कि कई निकायों ने अगले साल तक ठेका दे रखा है, ऐसे में वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्रदेश स्तर पर एक ठेका होगा, जिसका फायदा संबंधित पालिकाओं को राजस्व अधिक के लिए फायदेमंद रहेगा। वहीं कंपनी को भी पूरे प्रदेश के विज्ञापन मिलने में आसानी रहेगी।

विवाद इतना कि ठेके की प्रक्रिया अटकी
नगर परिषद में पिछले चार महीनों से ठेके की प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई है, इसके लिए परिषद प्रशासन ने तीन बार खुली भी कराई, लेकिन ठेकेदारों ने पिछले साल के ठेका राशि की बराबर यह ठेका लेने से इंकार कर दिया। पिछले साल नगर परिषद ने 1 करोड़ 78 लाख रुपए में यह ठेका दिया था, लेकिन यह विवाद इतना बढ़ा कि ठेकेदार ने हाईकोर्ट में नगर परिषद में चुनौती दे दी। समय अवधि समाप्त होने के बावजूद भी परिषद को अब तक इस ठेकेदार से अब तक सवा करोड़ रुपए की राशि नहीं मिली है।
नए ठेका फर्मों ने 60 से 80 लाख रुपए सालाना ठेके की पेशकश की तो आयुक्त ने इसे ठुकरा दिया। आयुक्त का कहना है कि इससे राजस्व को नुकसान होगा और उनकी जवाबदेही भी होगी। वहीं ठेकेदारों ने कम रेट पर ठेका लेने के लिए पूल बना लिया है। ऐसे में होर्डिंग्स का ठेका अब तक निर्धारित नहीं हो पाया है।

इनका कहना है
यह सही है कि होर्डिंग्स साइट का ठेका अब प्रदेश स्तर पर एक समान होने की उम्मीद बंधी है। रुडिफको ने इस संबंध में फीडबैक भी लिया है। होर्डिंग्स साइट से अधिक राजस्व मिलने लगा है, ऐसे में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी है। हर साल ठेका प्रक्रिया पूरी करने में अधिक समय बीत जाता है।
सुनीता चौधरी, आयुक्त, नगर परिषद
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