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पशुओं से निजात नहीं मिली तो फिर कोर्ट की शरण मेें

locationश्री गंगानगरPublished: Mar 15, 2018 06:49:39 am

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pawan uppal

-अदालत ने एक महीने पहले कैटल फ्री सिटी अभियान चलाने का दिया था आदेश -कलक्टर, नगर परिषद सभापति आदि के खिलाफ अवमानना याचिका
 

court case
श्रीगंगानगर.

अदालत के आदेश के बावजूद नगर परिषद प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण शहर में आवारा पशुओं से निजात नहीं मिली रही। शहर को कैटल फ्री सिटी नहीं करने पर अब फिर से कोर्ट की शरण ली गई है। याचिकाकर्ता के ब्लॉक निवासी राधेश्याम गोयल की ओर से जिला कलक्टर ज्ञानाराम, राजस्थान में स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एम्बेडर और डूंगरपुर नगर परिषद सभापति केके गुप्ता, नगर विकास न्यास अध्यक्ष संजय महिपाल, नगर परिषद सभापति अजय चांडक, नगर परिषद आयुक्त सुनीता चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी जुगल किशोर माथुर, यातयात पुलिस थाना प्रभारी के खिलाफ मुंसिफ मजिस्ट्रेट एवं सिविल न्यायाधीश नेहा गोयल के समक्ष न्यायालय की अवमानना की याचिका दायर की है।
इसमें निराश्रित पशुओं को शहर के हर वार्ड और मुख्य मार्गों पर विचरण के लिए छोड़े जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाइ्र्र और पशुओं को पकड़कर गोशालाओं में रखने की व्यवस्था नहीं लागू नहीं किए जाने के साथ साथ जिला स्थायी लोक अदालत के आदेश की पालना नहीं किए जाने की बात कही है।

याचिकाकर्ता का कहना था कि नगर परिषद प्रशासन और जिला प्रशासन ने कैटल फ्री सिटी के लिए प्रयास नहीं किए। यहां तक कि यातायात पुलिस को भी यातयात में बाधक बन रहे पशुओं के बारे में सूचना देने के लिए पाबंद किया गया था, पुलिस प्रशासन ने भी अनदेखी की। इस संबंध में राजस्थान पत्रिका के छह मार्च के अंक में प्रकाशित समाचार ‘दिख नहीं रही कैटल फ्री सिटी की मुहिमÓ के बाद याचिकाकर्ता ने अदालत का फिर से दरवाजा खडख़ड़ाया है।

यह था अदालत का आदेश
30 जनवरी 2018 को जिला स्थाई लोक अदालत ने अपने नौ पृष्ठों के आदेश में शहर में निराश्रित घूम रहे पशुओं की धरपकड़ के लिए नगर परिषद और जिला प्रशासन को पाबंद करते हुए विस्तृत गाइड लाइन जारी की थी। इसमें हेल्प लाइन से शिकायत दर्ज करने के लिए रजिस्टर संधारित करने का आदेश किया था। इसके साथ साथ आवारा पशुओं को पकडऩे के बाद उसकी प्रगति रिपोर्ट कलक्टर के समक्ष पेश करने की बात कही गई थी। इस आदेश की पालना में नगर परिषद ने फायर बिग्रेड के कंट्रोल रूम में हेल्पलाइन गठित की। पन्द्रह फरवरी से लेकर अब तक आई शिकायतों को दर्ज किया गया लेकिन कैटल फ्री सिटी अभियान को गंभीरता से नहीं लिया गया।
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