श्री गंगानगर

श्रीगंगानगर. नहरों में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक प्रवाहित कर देते हैं…….देखें खास तस्वीरें

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Published: April 25, 2019 07:49:32 pm
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यह कैसी आस्था : श्रीगंगानगर. इलाके में धार्मिक आयोजनों के बाद बची हुई पूजन सामग्री जल में प्रवाहित करने की परम्परा है। क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां इन्हें प्रवाहित किया जा सकता है। श्रीगंगानगर इलाके में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं। नहरी पानी में ये देव प्रतिमाएं पूरी तरह से घुल नहीं पाती। ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वही आस्था का अपमान होता है। जिला मुख्यालय के नजदीक गंगनहर की जेड वितरिका में प्रवाहित की गई देव प्रतिमा और अन्य सामग्री। -राजेन्द्रपाल सिंह निक्का

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यह कैसी आस्था : श्रीगंगानगर. इलाके में धार्मिक आयोजनों के बाद बची हुई पूजन सामग्री जल में प्रवाहित करने की परम्परा है। क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां इन्हें प्रवाहित किया जा सकता है। श्रीगंगानगर इलाके में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं। नहरी पानी में ये देव प्रतिमाएं पूरी तरह से घुल नहीं पाती। ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वही आस्था का अपमान होता है। जिला मुख्यालय के नजदीक गंगनहर की जेड वितरिका में प्रवाहित की गई देव प्रतिमा और अन्य सामग्री। -राजेन्द्रपाल सिंह निक्का

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यह कैसी आस्था : श्रीगंगानगर. इलाके में धार्मिक आयोजनों के बाद बची हुई पूजन सामग्री जल में प्रवाहित करने की परम्परा है। क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां इन्हें प्रवाहित किया जा सकता है। श्रीगंगानगर इलाके में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं। नहरी पानी में ये देव प्रतिमाएं पूरी तरह से घुल नहीं पाती। ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वही आस्था का अपमान होता है। जिला मुख्यालय के नजदीक गंगनहर की जेड वितरिका में प्रवाहित की गई देव प्रतिमा और अन्य सामग्री। -राजेन्द्रपाल सिंह निक्का

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यह कैसी आस्था : श्रीगंगानगर. इलाके में धार्मिक आयोजनों के बाद बची हुई पूजन सामग्री जल में प्रवाहित करने की परम्परा है। क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां इन्हें प्रवाहित किया जा सकता है। श्रीगंगानगर इलाके में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं। नहरी पानी में ये देव प्रतिमाएं पूरी तरह से घुल नहीं पाती। ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वही आस्था का अपमान होता है। जिला मुख्यालय के नजदीक गंगनहर की जेड वितरिका में प्रवाहित की गई देव प्रतिमा और अन्य सामग्री। -राजेन्द्रपाल सिंह निक्का

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यह कैसी आस्था : श्रीगंगानगर. इलाके में धार्मिक आयोजनों के बाद बची हुई पूजन सामग्री जल में प्रवाहित करने की परम्परा है। क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां इन्हें प्रवाहित किया जा सकता है। श्रीगंगानगर इलाके में लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं। नहरी पानी में ये देव प्रतिमाएं पूरी तरह से घुल नहीं पाती। ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वही आस्था का अपमान होता है। जिला मुख्यालय के नजदीक गंगनहर की जेड वितरिका में प्रवाहित की गई देव प्रतिमा और अन्य सामग्री। -राजेन्द्रपाल सिंह निक्का

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