इलाके में चाइनीज इलेक्ट्रानिक झालरों के बहिष्कार की आवाज पिछले छह सालों से उठ रही थी लेकिन इस दीपावली पर पहली बार यह मूर्त रूप ले चुकी है। दीपावली पर घरों को स्वदेशी झालर से रोशन करने के लिए काम शुरू हो गया है। त्योहार पर बाजार में अकेले झालर का कारोबार करीब चार से पांच करोड़ रुपए का व्यापार होता है।
स्वदेशी झालर अब घरों के साथ साथ शहर के मुख्य चौक चौराहों पर नगर परिषद और नगर विकास न्यास की ओर से दीपावली पर सजाई जानी वाली लाइटिंग पर देखने को मिल रही है। इन दोनों संस्थाओं ने शहर के सुखाडि़या सर्किल, मीरा चौक, चहल चौक, बीरबल चौक, भगतसिंह चौक, गंगासिंह चौक, कोडा चौक, उधमसिंह चौक, शिव चौक, अम्बेडकर चौक, गांधी चौक पर विशेष सजावटी लाइटिंग कराई है। इनमें इस बार स्वदेशी लाइटिंग का इस्तेमाल किया गया है।
नगर परिषद आयुक्त प्रियंका बुडानिया का कहना है कि ठेकेदार को चाइनीज लाइटिँग का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। एेसे में स्वदेशी लाइटिंग की झालरों का इस्तेमाल किया गया है। वहीं विभिन्न लोगों ने अपनी घरों और दुकानों की सजावट में स्वदेशी लाइटिंग पर फोकस किया है।
इस बीच इलाके के बिजली की झालर बनाने का काम भी शुरू हो चुका है। पिछले एक दशक से चाइनीज झालर की खपत अधिक थी लेकिन इस बार लोकल कारीगरों ने अपने घरों पर झालर तैयार कर बेचने के लिए तैयार की है। दुकानदार बल्ब, तार, मास्टर बल्ब, सर्किट देकर झालरें बनवा रहे हैं। 10 मीटर झालर की बनवाई चालीस से पचास रुपए की लागत आ रही है जो बाजार में एक सौ से एक सौ दस रुपए प्रति झालर की दर से बिक रही है। वहीं चाइनीज झालकर पचास से साठ रुपए प्रति नग के हिसाब से बेची जा रही है।
दुकानदार किशन लाल का कहना है कि इस बार लोगों में चाइनीज की बजाय स्वदेशी झालर की डिमांड है। बाजार, सदभावनानगर, जवाहरनगर, चक ३ ई छोटी, पुरानी आबादी और सेतिया कॉलोनी में कई कारीगरों के परिवार लोकल झालर बनाने में लगे रहे। कारीगरों का दावा है कि चाइनीज झालर की ज्यादा मजबूती देसी झालर में ही है।
दुकानदार महेश शर्मा का मानना है कि चाइनीज आइटम की ६५ फीसदी की डिमांड घटी कोरोना महामारी और डोकलाम विवाद से चीन के खिलाफ इलाके में भी स्वदेशी आइटम अपनाने की मुहिम चली है।
भारत-चीन के संबंधों में आई खटास का फायदा इस दीपावली स्वदेशी बाजार को मिल रहा है। दीपावली पर साज-सज्जा के सामान में पिछले साल जहां ६० से ६५ प्रतिशत चाइनीज वस्तुओं की आइटम की खपत कम हो गई है। हालांकि दुकानदार अब भी कई जगह इलक्ट्रोनिक्स आइटम में चाइनीज आइटम को बेचकर मुनाफा कमा रहे है। लेकिन बाजार में इन दिनों लाइटिंग, दीये, घरेलू सज्जा के सामान की बिक्री का टर्नओवर करीब दस करोड़ पार कर चुका है।
संयुक्त व्यापार मंडल के अध्यक्ष तरसेम गुप्ता बताते है कि चाइनीज मांग घटते ही स्वदेशी आइटम बिक्री बढ़ी है। इसके अलावा मोबाइल, फर्नीचर, प्लास्टिक आइटम, इलेक्ट्रानिक्स बाजार में भी स्वदेशी सामग्री की ज्यादा मांग है। बाजार में ग्राहक इन दिनों कीमत से ज्यादा क्वालिटी यानी चाइनीज से ज्यादा स्वदेशी को महत्व दे रहे हैं।
इधर, व्यवसायी संपत का कहना है कि बाजार में इस साल एक से बढ़कर एक तोरण, बंदनवार, मूर्तियां, रोल कलैण्डर, विभिन्न प्रकार के स्टीकर की रंगोली बिक रही है। गिफ्ट आइटम के लिए एंटीक दिखने वाली गणेश व लॉफिग बुद्धा की मूर्तियां भी ग्राहकों को आकर्षक कर रही है। वहीं रुद्राक्ष से बनाई लडि़यां भी आकर्षक का केन्द्र बनी हुई है।
रंगोली बनाने वालों के लिए भी कलर के साथ ही स्टीकर वाली रंगोली भी बाजार में हैं। फ्लावर पॉट में वुडन पैटर्न, कॉम्बो आदि की डिमांड है। अम्बेडकर चौक के पास चार पांच दुकानों में चाइनीज दीए और लडि़यां भी है लेकिन बिक्री कम है। मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों को इस साल अधिक कमाई हुई है।
गली मोहल्ले से लेकर बाजार की दुकानों पर मिट्टी के दीयों की बिक्री जमकर हुई है। बेचने के लिए लोग अब सड़क किनारे थड़ी लगाकर दुकानें लगा ली है। वहीं गिफ्ट आइटम की दुकानों पर ग्लास कैंडल, लालटेन, मिट्टी से बने हुए डिजाइनर दीये भी उपलब्ध हैं। हालांकि यह मिट्टी के साधारण दीयों के मुकाबले महंगे हैं। बाजार में इस साल दस रुपए से लेकर 250 रुपए तक के दीये बेचे जा रहे हैं।