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यहां महज एक कॉल पर बना दिए जाते है इंस्पेक्टर

locationश्री गंगानगरPublished: Apr 12, 2021 10:33:03 am

Submitted by:

surender ojha

Inspectors are made here only on a call- श्रीगंगानगर नगर परिषद में सफाई इंस्पेक्टर के छह पद, लगा दिए 45 इंस्पेक्टर

यहां महज एक कॉल पर बना दिए जाते है इंस्पेक्टर

यहां महज एक कॉल पर बना दिए जाते है इंस्पेक्टर

श्रीगंगानगर. नगर परिषद में पिछले तीन दशक से अधिक का समय बीतने के बावजूद सफाई निरीक्षक के पद सृजित नहीं हुए है। इस कारण नाम के इंस्पेक्टर बनाए जा रहे है।

शहर में पहले वार्डो की संख्या तीस थी, इसके बाद यह संख्या चालीस पहुंची और अब यह 65 वार्डो तक पहुंच चुकी है। परिसीमन के चक्कर में नगर परिषद सीमा पूर्व की तरह रही लेकिन वार्डो की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसके अनुरुप सफाई व्यवस्था की मॉनीटरिंग करने के लिए रेकार्ड में दो ही इंस्पेक्टर है।
नगर परिषद में सफाई निरीक्षक प्रथम के तीन पद है, तीनों पद खाली है। जबकि सफाई निरीक्षक द्वितीय के तीन पद है, इसमें दो में कार्यरत है, वहीं एक पद रिक्त पड़ा है। इसके विपरीत नगर परिषद ने सिर्फ नाम के 45 निरीक्षकों को लगा दिए है।
पहले यह संख्या 60 पार पहुंच चुकी थी। सफाई कर्मचारियों में से ही सफाई निरीक्षक बनाए गए है। नगर परिषद प्रशासन का मानना है कि निरीक्षक के पदों की संख्या अधिक बढ़ानी चाहिए थी लेकिन डीएलबी ने इस प्रावधान को अब तक स्वीकार नहीं किया है।
शहर के 65 वार्डो में 45 सफाई निरीक्षक है। इसमें सिर्फ निरीक्षक ही डिप्लोमाधारक है। रमनदीप कौर, राजकुमार पुत्र दयाचंद और हरेन्द्र ही डिप्लोमाधारक है। शेष सफाई कार्मिकों से निरीक्षक बनाए गए है।
पहले वार्डो का दायरा अधिक था, एेसे में चुनिंदा ही सफाई इंस्पेक्टर होते थे लेकिन अब परिसीमन के बाद वार्डो की संख्या 65 हुई तो प्रत्येक वार्ड में एक एक इंस्पेक्टर बना दिया गया।
इसके लिए किसी डिप्लोमा की जरुरत नहीं होती बल्कि सिफारिश के आधार पर निरीक्षक बनाए जाते है। ज्यादातर निरीक्षक राजनीतिक एप्रोच के कारण इस पद पर कार्यरत है।

तीन साल पहले हुई भर्ती में सफाई कर्मचारी की नियुक्ति पाने में भी इंस्पेक्टर बन चुके है।
किसी पार्षद या जनप्रतिनिधि या अधिकारी के साथ विवाद होने पर संबंधित इलाके के सफाई निरीक्षक को तत्काल बदल दिया जाता है। नगर परिषद में राजनीतिक एप्रोच का बोलबाला है।
जनप्रतिनिधि जिस सफाई कर्मी पर मेहरबान हो जाएं तो यहां चंद पल में सफाई इंस्पेक्टर बना दिया जाता है। एेसे ही स्वास्थ्य अधिकारी का पद है। यहां डिग्रीधारक की बजाय मॉनीटरिंग करने में सक्षम को कार्यवाहक हैल्थ ऑफसर बनाने की परपंरा चल रही है। पिछले चार दशक से कार्यवाहक स्वास्थ्य अधिकारी बनते आ रहे है।
इधर, नगर परिषद में सफाई कर्मचारी अपने जीवन भर सेवाएं देता हे। लेकिन उसे पदोन्नति नहीं मिलती।
इसकी वजह सीमित सफाई निरीक्षक के पद है। यदि पदों में बढ़ोतरी हो जाएं तो लंबे समय से सफाई कार्य करने वाले सफाई कार्मिकों को इन पदों पर पदोन्नत किया जा सकता है।

पद स्वीकृत होने के कारण निरीक्षक के वेतनमान और अन्य परिलाभों में भी बढ़ोत्तरी तय है। लेकिन लंबे समय से इस मामले को सफाई मजदूर यूनियनों ने भी प्रभावी ढंग से यह मामला नहीं उठाया है।
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