श्रीगंगानगर. संवाद लेखक मयंक सक्सेना ने कहा है कि किसी भी फिल्म की कहानी को आगे ले जाने के लिए संवाद सशक्त माध्यम है। वे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ श्रीगंगानगर के दूसरे दिन फिल्मों के प्रदर्शन के बाद हुई परिचर्चा में विचार विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सिनेमा में संवाद के सहारे ही बात की जाती है तथा वे बेहद असरकारक होते हैं।
पंजाबी सिनेमा के बारे में निर्देशक राजीव कुमार ने पंजाबी सिनेमा में आए बदलाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि साठ के दशक में कुछ अच्छी पंजाबी फिल्में क्योंकि उस दौर में सुनील दत्त और कई अन्य पंजाब से जुड़े लोग पंजाबी सिनेमा से भी जुड़े थे। इसके बाद अप्रवासी भारतीयों पर आधारित पंजाबी फिल्में आई। उन्होंने कहा कि पंजाबी फिल्मों के कथानक में प्राय: गैंगस्टर, पुराने समय में घटी घटनाएं और विवाह अवसर रहे हैं। प्राय: पंजाबी फिल्मों में विवाह में आने वाली अड़चनों को जोडकऱ कहानी तैयार की जाती है।
लेखक डॉ.दुष्यंत ने कहा कि छोटे शहरों से आने वाले लोग जब फिल्मी क्षेत्र में कदम रखते हैं तो उनके किरदार भी उसी तरह तथा छोटे शहरों से जुड़े होते हैं। उन्होंने छोटे शहरों के युवाओं का आह्वान किया कि सिनेमा के क्षेत्र में काम करते रहिए सफलता अवश्य मिलेगी।
इससे पूर्व सुबह के सत्र में अभियनय से जुड़ी रुचि भार्गव और विनोद आचार्य ने विद्यार्थियों को अभिनय की बारीकियों के बारे में जानकारी दी। इन फिल्मों की हुई स्क्रीनिंग
आयोजन के दौरान कार्यक्रम स्थल पर दो स्क्रीन की व्यवस्था की गई। इन पर लगातार कई फिल्में दिखाई गई। सुबह के समय स्क्रीन एक पर हंगरी के निर्देशक अतीला टिल की फिल्म किल्स ऑन व्हील्स, रूसी निर्देशक बोरिस डोब्रोविलस्की की लघु फिल्म रोप, स्पेन के निर्देशक जी. नोगुएरिया की लघु फिल्म रोको का प्रदर्शन किया गया। इसी के साथ दूसरी स्क्रीन पर जर्मनी के निर्देशक शहबाज नोशिर की लघु फिल्म पुया इन द सर्किल ऑफ टाइम का प्रदर्शन किया गया।
आयोजन के दौरान कार्यक्रम स्थल पर दो स्क्रीन की व्यवस्था की गई। इन पर लगातार कई फिल्में दिखाई गई। सुबह के समय स्क्रीन एक पर हंगरी के निर्देशक अतीला टिल की फिल्म किल्स ऑन व्हील्स, रूसी निर्देशक बोरिस डोब्रोविलस्की की लघु फिल्म रोप, स्पेन के निर्देशक जी. नोगुएरिया की लघु फिल्म रोको का प्रदर्शन किया गया। इसी के साथ दूसरी स्क्रीन पर जर्मनी के निर्देशक शहबाज नोशिर की लघु फिल्म पुया इन द सर्किल ऑफ टाइम का प्रदर्शन किया गया।
इसके साथ ही कोरिया की फिल्म ‘द वन हू होल्ड्स सोवरेनिटी ओवर एवरी थिंग’ का प्रदर्शन भी किया गया। इसके साथ ही निर्देशक सुखप्रीत गिल की पंजाबी फिल्म ‘मीचक समारोह’, भारत की निर्देशक इरा टाक की लघु फिल्म रेनबो, ट्यूनेशिया के निर्देशक कतरी मेनल की फिल्म पिपोऊ, चीन के निर्देशक सी चाओ की फिल्म एंजल्स मिरर, भारत के निर्देशक मीर फारूक की फिल्म दुपट्टा, कनाडा के निर्देशक ए.वॉन सेक की फिल्म द हंड्रड्थ विकटम, अमरीका के निर्देशक बी.टान की फिल्म द एमिसरी तथा भारत की फिल्म निर्देशक मानसी देवधर की फिल्म भैरूं का प्रदर्शन किया गया।