इस वार्ता में व्यापारियों का कहना था कि एक ओर सरकार ने किसानों के लिए धानमंडी खोल रखी है। यहां तक कि खाद, बीज की दुकानें भी खोल दी गई है। परचून, दवा, सब्जी, फ्रूट, फास्ट फूड की दुकानें खोल कर लोगेां को राहत दी है। लेकिन बाजार में मनियारी, जूते, कपड़े, साडि़यों और किताबों की दुकानों पर प्रतिबंध लगाकर दोहरी मार की है।
इस पर कलक्टर का कहना था कि पूरे प्रदेश में कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे है। इस महामारी को कंट्रोल करना जरूरी है। व्यापारियों की ओर से मांगी गई सुविधा के संबंध में ज्ञापन राज्य सरकार को भिजवाया जा चुका है। पूरे प्रदेश की गाइड लाइन के अनुरुप बाजार बंद कराया गया है। जब सरकार इस गाइड लाइन में कोई बदलाव लाएगी तब दुकानें खुलने की अनुमति दी जाएगी। कलक्टर ने धरना हटाने का आग्रह भी किया।
लेकिन व्यापारी कुछ राहत मांगने पर अड़ गए। इसके बाद व्यापारी वहां से गांधी चौक पर स्थित धरना स्थल पर पहुंचे। उपखंड अधिकारी उम्मेद सिंह रतनू और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहीराम ने आकर फिर से समझाइश की।
एसडीएम का कहना था कि व्यापारियों की ओर से दिए गए फार्मूले को सरकार के पास भिजवाया जा चुका है। अगले अड़तालीस घंटे में सकारात्मक परिणाम आ सकते है। यह सुनकर वहां व्यापारियों ने इस धरने को स्थगित करने की घोषणा कर दी।
इससे पहले 21 सदस्यीय व्यापारियों और दुकानदारों ने धरना दिया। इसमें तरसेम गुप्ता, नरेश सेतिया, कृष्ण मील, पवन सरना, लोकेश मनचंदा, पार्थ पूनियां, राहुल जसूजा, मनोज सरावगी, शिब्बू शर्मा, निश्चय जनवेजा, विजय जग्गा, संजय राजपाल, चरणदास खुंगर, विजय सेतिया, रमेश कुमार, मोंटी गुप्ता, श्याम बलाना, रमेश, मुरारीलाल चलाना, अमित चलाना, गोपाल टक्कर, अंकुर मिगलानी आदि धरना लगाया।