अलीगढ़ की सुमित्रादेवी यहां सालों से अपनी एक बेटी व बेटे के साथ निवास करती आ रही थी। यह यहां अकेली अपने बच्चों के साथ रहती थी। महिला एक निजी कॉलेज में गार्ड थी लेकिन कोरोना के चलते वहां से भी हटा दिया गया। इसके बाद वह लोगों के कपड़े प्रेस करके अपना गुजारा करती थी। धीरे-धीरे कपड़े भी बंद हो गए। इसके चलते एक माह का मकान किराया नहीं दे पाई। इस पर मकान मालिक ने उसको बच्चों सहित घर से निकाल दिया और सामान सडक़ पर पट दिया।
25 जुलाई के बाद महिला इधर-उधर भटकती रही और लोग उसको खाने-पीने की व्यवस्था करते रहे। वह रैन बसेरे में भी गई, जहां से उसे भेज दिया गया। रविवार को वह अपने दोनों बच्चों के साथ कलक्ट्रेट के बाहर धरने पर बैठ गई। महिला व बच्चों के साथ अन्य लोग भी धरने पर बैठ गए। इसके बाद यहां पुलिस की गश्ती गाड़ी, सीआईडी वाले पहुंच गए। दोपहर बाद लोगों ने नगरपरिषद अधिकारियों को भी इससे अवगत कराया। इसके बाद नगरपरिषद अधिकारियों ने महिला व बच्चों के रैन बसेरे में रहने की व्यवस्था की।
पूर्व पार्षद डॉ. भरत मय्यर ने बताया कि घर से निकाली गई महिला के साथ उसकी बेटी व एक बेटा है। ऐसे हालात में उसको राहत मिलनी चाहिए। वे उसका किराया देने गए थे लेकिन मकान मालिकों ने रखने से मना कर दिया है। इसके बाद उसको रैन बसेरे में रखवा गया है। शहर के लोगों को ऐसे परिवारों की मदद को आगे आना चाहिए। पुलिस ने बताया कि इस महिला का सामान फेंकने का मामला दर्ज है। वहीं मकान मालिकों में मालिकाना हक को लेकर भी मामला कोर्ट में चल रहा है।