इस घोषणा से श्रीगंगानगर नगर परिषद की सियासत तेज हो गई हैै। यहां तक कि वार्डो में अब तक पसरा सन्नाटा एकाएक छंट गया, शाम होने पर कई दावेदारों ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए सोशल मीडिया में पोस्ट डालनी शुरू कर दी तो कईयों ने गली मोहल्ले में बैनर व होर्डिग्स लगाने शुरू कर दिए है। पार्षदों की अधिक पूछ बढऩे के कारण दावेदारों की संख्या इस बार भी दुगुनी होने के आसार है। पिछले चुनाव में जिस तरीके से धन बल हावी रहा, उसे देखते हुए पार्षदी के लिए कशमकश कांटेदार रहेगी। इधर, सभापति के कई दावेदारों ने सभापति के पद के आरक्षण लॉटरी के उपरांत ही तस्वीर साफ होने का दावा किया है। कईयों के चेहरों पर छाई मायूसी राज्य सरकार ने सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से किए जाने की घोषणा की थी, इस वजह से कई जनप्रतिनिधियों ने सभापति चुनाव को लडऩे की तैयारियां भी शुरू कर दी थी।
लेकिन सरकार के यू टर्न निर्णय ने इन दावेदारों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। कई पार्षदों ने इस बार सभापति की टिकट लेने के लिए राजनीतिक दलों से संपर्क किया था। इसमें अलग अलग जातिगत समीकरण के हिसाब से टिकट मांग रहे थे।
सामान्य या ओबीसी वर्ग होने पर जगदीश जांदू, अशोक मुंजराल, कमला बिश्नोई, डा.़भरतपाल मय्यर, रमजान अली चोपदार, संदीप शर्मा, कृष्ण स्याग, बालकिशन कुलचानियां, रामगोपाल यादव, मनिदंर कौर नंदा, भूपेन्द्र टूरना, सुनीता चौधरी आदि शामिल थे जबकि एससी सीट होने पर कश्मीरीलाल इंदौरा, श्यामलाल धारीवाल, ओमी नायक, रमेश घडिय़ाव आदि दौड़ में थे। चांडक ने दिए चुनाव लडऩे के संकेत इधर, अप्रत्यक्ष रूप से सभापति चुनने की प्रक्रिया बरकरार किए जाने पर नगर परिषद सभापति अजय चांडक का कहना है कि सभापति के आरक्षण की लॉटरी के बाद यदि सामान्य सीट आई तो वे उनके फिर से चुनाव मैदान में आ सकते है। उनका कहना था कि प्रत्यक्ष रूप से सभापति चुनने का निर्णय आता तो वह ज्यादा रोचक होता। ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 के निकाय चुनाव में चांडक के पक्ष में 50 में से 48 पार्षदों ने वोटिंग की थी तब वे सभापति चुने गए थे।