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विवाहिता महिलाओं को अब पति के अलावा पिता की आय व संपति बताने की अनिवार्यता

locationश्री गंगानगरPublished: Sep 14, 2019 12:24:30 am

Submitted by:

surender ojha

EWS certificate केन्द्र सरकार ने भले ही आर्थिक रूप से पिछले स्वर्ण वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया हो लेकिन इस आरक्षण के लिए प्रमाण पत्र बनाना अब टेढ़ी खीर बन गई है।

विवाहिता महिलाओं को अब पति के अलावा पिता की आय व संपति बताने की अनिवार्यता

विवाहिता महिलाओं को अब पति के अलावा पिता की आय व संपति बताने की अनिवार्यता

श्रीगंगानगर। केन्द्र सरकार ने भले ही आर्थिक रूप से पिछले स्वर्ण वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया हो लेकिन इस आरक्षण के लिए प्रमाण पत्र बनाना अब टेढ़ी खीर बन गई है। सामान्य वर्ग की विवाहिता महिलाओं को अब ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पति के साथ साथ अपने पिता की आय और संपति का हिसाब किताब भी देना होगा।
इसके लिए बकायदा साक्ष्य लाने होंगे, इस साक्ष्य का दस्तावेज भी देने होंगे। यदि ऐसा नहीं है महिलाओं को प्रमाण पत्र के लिए अयोग्य माना जाएगा। ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पात्र व्यक्ति दर-दर भटकने को मजबूर बने हुए हैं। वहीं आबादी भूमि व मकान के रिपोर्ट के लिए संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों की ओर से नियमों की आड़ लेकर अड़ंगे डाले जाने से प्रमाण पत्र बनवाने वाले लोग ग्राम पंचायतों से लेकर नगर परिषद कार्यालय तक चक्कर काटने को मजबूर बने हुए हैं .
हालत यह है कि कभी बाबू नहीं मिलते तो कभी अधिकारी जिसके कारण सरकार की ओर से दिया गया आर्थिक रूप से 10 प्रतिशत आरक्षण युवाओं के लिए कानूनी दांव का मैदान बन कर रह गया है। वहीं दूसरी तरफ नीचे के स्तर पर भूमि आय तथा आवास के लिए रिपोर्ट करने वाले लोगों द्वारा आवेदनों पर तत्काल रिपोर्ट नहीं किए जाने का अपने आप में सबसे बड़ा सबूत बना हुआ है ।
कौन कौन होगा पात्र
8 लाख सालाना तक की आय, 5 एकड़ जमीन, ग्रामीण क्षेत्र में 200 वर्ग गज में शहरी क्षेत्र में 100 वर्ग गज तथा 1000 स्क्वायर वर्ग गज का फ्लैट तक के व्यक्ति को ही ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र के लिए योग्य माना गया है।
प्रमाण पत्र जारी करने के लिए बनाए गए नियमों के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 200 वर्ग गज तथा ग्रामीण शहरी क्षेत्र में 100 वर्ग गज तक के मकान के स्वामित्व वाले को ही प्रमाण पत्र दिया जा सकता है । सामूहिक परिवारों की अवधारणा के चलते आवासीय मकान एक ही व्यक्ति के नाम होने के कारण अड़चन बनी हुई है । जबकि सामूहिक परिवारों में विभाजन होने के बाद मकानों का बंटवारा हो गया तथा 100 वर्ग गज से भी कम की सीमा निर्धारण के अंदर आते चले गए।
मगर कानूनी रूप से रिकॉर्ड पर विभाजन अंकित नहीं होने से मकान के स्वामित्व का भी विभाजन नहीं हुआ। इससे रिपोर्ट करने में संबंधित कार्मिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तथा रिपोर्ट नहीं होने से संबंधित पात्र व्यक्ति भी कानूनी खामियों के कारण पात्रता के लाभ से वंचित बना हुआ है।
ईडब्ल्यूएस की विवाहित महिलाओं को प्रमाण पत्र नहीं बनाने के मौखिक आदेश थे। इस संबंध में जब जागरूक नागरिकों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्य सरकार तक अपना विरोध दर्ज कराया तो इस संबंध में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव सांवरमल वर्मा ने आदेश जारी किए हैं। आदेशों में कहा गया है कि सक्षम अधिकारी भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा वर्णित परिवार की परिभाषा के परिप्रेक्ष्य में ही आर्थिक कमजोर वर्ग की विवाहित महिलाओं को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी करें।
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