विवाह के साक्षी बने आसपास की झुग्गियों में रह रहे तथा आंदोलन में लगातार साथ निभा रहे लोग। अब तक आंदोलन की कमान संभाल कर जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे लगाते लोग आज अलग भूमिका में थे। कोई दुल्हन के भाई की तरह बहन को विदा करने की तैयारी में जुटा तो किसी ने चाचा, ताऊ और मामा की भूमिका में सहयोग किया। सम्यक विचारधारा के साथ अब तक विरोध में सहभागी रहे ये लोग मंगलवार को विवाह की तमाम जिम्मेदारियां निभाने में जुटे थे।
कोई मंडप तो कोई भोजन व्यवस्था में
विवाह स्थल पर कोई मंडप तो कोई भोजन व्यवस्था में जुटा। धरना स्थल पर पीपल के पेड़ के निकट लगाया गया शामियाना। इस छोटे से शामियाने के पास हलवाइयों की व्यवस्था की गई जिन्होंने विवाह के लिए भोजन आदि का प्रबंध किया। इन सब व्यवस्थाओं के लिए सामने आए शहर के लोग। किसी ने भोजन प्रबंध में सहयोग किया तो कोई दुल्हन को भेंट करने के लिए कपड़े और अन्य सामान ले आया।
आदरपूर्वक बारात की अगवानी
दोपहर करीब साढे बारह बजे के आसपास बारात विवाह स्थल पर पहुंची। वहां दुल्हन पक्ष ने दूल्हे और बारातियों का स्वागत किया। बारातियों और घरातियों के भोजन का प्रबंध पास बने पंडाल में किया गया, वहीं दूल्हे के बैठने के लिए पास की एक दुकान में व्यवस्था की गई। दोपहर करीब दो बजे के आसपास दोनों का विवाह करवाया गया।
विदाई हुई तो भीगे पलकों के कोर
पूरे दिन विवाह की रस्मों के बाद शाम को जब विदाई का वक्त आया तो दुल्हन और उसकी सखियों की पलकों के कोर भीग गए। पूरा दिन विवाह की व्यवस्थाओं में जुटे धरना स्थल पर संघर्ष के साथियों ने भी दुल्हन को सम्मानपूर्वक ससुराल के लिए विदा किया।