–आयर्वुेदिक विभाग का मामला, नहीं मिल रहा है रोगियों को लाभ श्रीगंगानगर.सरहदी गांवों में रोगियों का उपचार करने के उद्देश्य से खरीदी गई लाखों रुपए की मोबाइल वैन एक दशक से जंग खा रही है। कुछ साल तो यह वैन बीकानेर खड़ी रही। उसके बाद इसे वहां से लाया गया। करीब दस साल पहले इस वैन के माध्यम से सीमा क्षेत्र के गांवों में शिविर लगाए गए लेकिन अब यह एक दशक से सहायक निदेशक कार्यालय में खड़ी जंग खा रही है। हालात यह है कि राज्य में एक अजमेर जिले में ही मोबाइल वैन संचालित की जा रही है। जबकि श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ सहित राज्य के अन्य जगह मोबाइल वैन पर ब्रेक लगा दिया गया है। लाखों रुपए की राशि यूं ही बर्बाद कर दी गई। उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक विभाग का पहले अलग से मंत्री हुआ करता था। पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर के बाद कोई विभाग हुआ करता था। इसके बाद आयुर्वेदिक मंत्री अलग से बनाना ही बंद कर दिया। इसके बाद इस विभाग की किसी ने सुध तक नहीं ली है। विभाग की एक अधिकारी ने बताया कि पहले मोबाइल वैन में डॉक्टर,कपांउडर की ड्यूटी लगी हुई थी। एक माह में 15 दिन मोबाइल वैन सरहदी गांव-गांव जाती थी और वहां पर शिविर लगाकर रोगियों को लाभान्वित करती थी लेकिन अब सरहदी गांव के लोगों का इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। अब काम नहीं कर रही है मोबाइल वैनएक दशक से मोबाइल वैन न बंद पड़ी है। स्टाफ व वाहन चालक की वजह से इसको काम में नहीं लिया जा रहा है। जब मोबाइल वैन चलती थी तब सरहदी गांवों में शिविर लगाए जाते थे। डॉ.बलदेव राज अरोड़ा,सहायक निदेशक आयुर्वेदिक विभाग,श्रीगंगानगर ।