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जिले के अधिकांश सरकारी कॉलेजों में प्राचार्यों के पद खाली, विभागीय पदोन्नति का कर रहे हैं इंतजार

locationश्री गंगानगरPublished: Aug 08, 2018 08:34:02 pm

Submitted by:

vikas meel

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श्रीगंगानगर.

जिले के अधिकांश सरकारी कॉलेज बिना ड्राइवर की गाड़ी बने हुए हैं। लंबे समय से विभागीय पदोन्नति नहीं होने से इनमें प्राचार्यों के पद नहीं भरे हैं। ऐसे में अधिकांश में व्याख्याताओं के पास ही पदभार हैं। इन व्याख्याताओं को जहां कक्षाएं संभालनी पड़ती हैं वहीं प्रशासनिक कार्य भी उन्हें स्वयं ही देखना पड़ता है। ऐसे में कामकाज प्रभावित होता है। इसके साथ ही कई बार जिला स्तरीय बैठकों आदि में भी इन प्राचार्र्यो को शामिल होना पड़ता है। ऐसे में उनका काम काज और अधिक बढ़ जाता है।

 

यह है हालात

जिले के कॉलेजों की बात करें तो शहर के डॉ.भीमराव अंबेडकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पिछले दिनों डॉ.रामसिंह राजावत की सेवानिवृत्ति के बाद से इस पद का कार्यभार व्याख्याता डॉ.रजनीश श्रीवास्तव संभाल रहे हैं। डॉ.राजावत ने भी उप प्राचार्य रहते हुए इस पद का अतिरिक्त कार्यभार ही देखा था। ऐसेमें डॉ.राजावत को भी सेवानिवृत्ति तक विभागीय पदोन्नति का इंतजार रहा वहीं यदि विभागीय पदोन्नति मिलती है तो डॉ.रजनीश श्रीवास्तव भी प्राचार्य पद के लिए योग्य हैं। यही स्थिति चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय कन्या महाविद्यालय में है।

 

यहां व्याख्याता डॉ.प्रदीप मोदी कार्यभार संभाले हुए हैं। विभागीय पदोन्नति होने की स्थिति में मोदी भी प्राचार्य पद के योग्य है। इसी प्रकार सूरतगढ़ के राजकीय महाविद्यालय में पीके वर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद रमेश स्वामी कार्यवाहक के रूप में यह जिम्मेदारी देख रहे हैं। वहीं श्रीकरणपुर में यह जिम्मेदारी व्याख्याता डॉ.पीसी आचार्य के पास है। केवल सादुलशहर में मंजू गोयल और अनूपगढ़ के राजकीय महाविद्यालय में डॉ.एसएन शर्मा ही स्थाई प्राचार्य के रूप में कार्य कर रहे हैं।


बीकानेर में भी यही स्थिति

इसी प्रकार हनुमानगढ़ के नोहर और भादरा तथा बीकानेर के लूणकरणसर, खाजूवाला, डूंगरगढ़ के राजकीय महाविद्यालयों में भी अस्थाई प्राचार्य ही कार्य कर रहे हैं।

चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.प्रदीप मोदी बताते हैं कि हालांकि कार्यवाहक प्रभार से ज्यादा परेशानी नहीं होती लेकिन व्याख्याता के रूप में दायित्व परिवहन में परेशानी अवश्य आती है। दोनों पदों में सामांजस्य बैठाना पड़ता है। विभागीय पदोन्नति होने पर कई लोग प्राचार्य बन सकते हैं। जिले में कई वरिष्ठ व्याख्याता अब भी विभागीय पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं।

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